तर्ज – है प्रीत जहाँ की रीत सदा। खाटू में जब जब ग्यारस की, शुभ रात जगाई जाती है। बैठा के सामने बाबा को, हर बात बताई जाती है। खाटू में जब जब ग्यारस की। 1 । दरबार में बैठा हर प्रेमी, भजनो से तुम्हे रिझाता है। तेरी देख रेख में वो अपना, परिवार छोड़