देवा श्री गणेशा, देवा श्री गणेशा देवा श्री गणेशा, देवा श्री गणेशा देवा श्री गणेशा, देवा श्री गणेशा देवा श्री गणेशा, देवा श्री गणेशा देवा श्री गणेशा, देवा श्री गणेशा ज्वाला सी जलती है आँखो मे जिसके भी दिल मे तेरा नाम है, परवाह ही क्या उसका आरंभ कैसा है और कैसा परिणाम है, धरती
दुःखहर्ता बनके सुखकर्ता बनके चले आना गणपति चले आना तुम विघ्नविनाशक आना इच्छा पूरी करो, हाथ सर पर धरो चले आना गणपति चले आना तुम अष्ट विनायक आना मोदक हाथ ले के, खुशीआं साथ ले के चले आना गणपति चले आना तुम भाग्य विधाता आना रिधि साथ ले के, सिधी साथ ले के चले आना
तेरे द्वार खड़ा भगवान हो, तेरे द्वार खड़ा भगवान, भगत भर दे रे झोली।। तेरा होगा बड़ा एहसान, कि जुग जुग तेरी रहेगी शान, भगत भर दे रे झोली, तेरे द्वारे खड़ा भगवान, भगत भर दे रे झोली, ओ भगत भर दे रे झोली।। डोल उठी है सारी धरती देख रे, डोला गगन है सारा, भीख
श्लोक – प्रथमे गुरूजी को वंदना,द्वितीये आदि गणेश, तृतीये सुमिरा शारदा, मेरे कंठ करो प्रवेश। तेरी वंदना करूँ मै,प्रथमे गणेश देवा, माता है गौरा तेरी,पिता है महादेवा, तेरी वंदना करूँ में,प्रथमे गणेश देवा।। देवो के देवता हो,कहते है देव सारे, देवो के देवता हो,कहते है देव सारे, संसार को पता है,हर शख्श जानता है, पूजा
तेरी जय हो गणेश तेरि जय हो गणेश, तेरि जय हो गणेश तेरि जय हो गणेश॥॥ श्लोक-प्रथमे गौरा जी को वंदना, द्वितीये आदि गणेश,त्रितिये सुमीरु शारदा, मेरे कारज करो हमेश॥॥ तेरी जय हो गणेश तेरि जय हो गणेश, तेरि जय हो गणेश तेरि जय हो गणेश॥॥ किस जननी ने तुझे जनम दियो है, किस जननी ने तुझे जनम दियो
तेरा जग है करे गुणगान, गजानन लम्बोदर, लम्बोदर हे लम्बोदर, लम्बोदर हे लम्बोदर, तू जग में सबसे महान, गजानन लम्बोदर, तेरा जग है करें गुणगान, गजानन लम्बोदर।। हाथ दिए तूने पूजन को, हाथ दिए तूने पूजन को, जिव्हा सुमिरन को भगवान, गजानन लम्बोदर, तेरा जग है करे गुणगान, गजानन लम्बोदर।। दुःख हर्ता तू सुख कर्ता
तुम्हे वंदना तुम्हे वंदना हे बुद्धि के दाता सब वेदों के ज्ञाता तुम्हे वंदना तुम्हे वंदना तुम्हे वंदना तुम्हे वंदना हे बुद्धि के दाता सब वेदो के ज्ञाता हे बुद्धि के दाता सब वेदो के ज्ञाता तुम्हे वंदना तुम्हे वंदना तुम्हे वंदना तुम्हे वंदना एक दन्त दयावन्त चार भुजा धारी एक दन्त दयावन्त चार भुजा
तुम जो कृपा करो तो मिट जाये विपदा सारी, ओ गौरी सूत गणराजा गणनायक गजमुख धारी तुम जो कृपा करो तो मिट जाये विपदा सारी, ओ गौरी सूत गणराजा गणनायक गजमुख धारी तुम हो दया के सागर क्या बात है तुम्हारी, ओ गौरी सूत गणराजा गणनायक गजमुख धारी विघ्नौ को हरने वाले सुख शांति देने
तुज मागतो मी अता… मागतो आता, तुज मागतो मी अता, मागतो आता माझ्या द्यावे एकदन्ता … तुज मागतो मी अता.. तुझे थाई माझी भक्ति विरुथवी गणपति … तुझे थाई ज्याची प्रीती त्याची घडवी संगती .. संगती त्याची घडवी संगती धरणी धरा ऐसे द्यावे .. सर्व भूति लीन व्हावे तुझे शरण शरण शरण आलो पतित में