बिगड़ी मेरी बनादे ए शेरों वाली मैया, अपना मुझे बनाले ए मेहरों वाली मैया॥ सदा पापी से पापी को भी तुम, मां भव सिंधु तारी हो, फसी मझधार में नैया को भी, पल में उबारी हो, न जाने कोन ऐसी भुल, मुझसे हो गयी मैया, तुम अपने इस बालक को मां, मन से बिसारी हो॥
माँ ऊँचे पर्वत वाली, करती शेरों की सवारी, अम्बे माँ, घर में पधारो मेरी माँ, अम्बे माँ, घर में पधारो मेरी माँ॥ तेरे नाम की ज्योत जली है, दर्शन को टोली खड़ी है, अम्बे माँ, आरती उतारूं मेरी माँ, अम्बे माँ, आरती उतारूं मेरी माँ॥ आँखे दर्शन की है प्यासी, आजा माता मिटे उदासी, अम्बे
अगर माँ ने ममता लुटाई ना होती, तो ममतामयी माँ कहाई ना होती-२ द्वारे पे आए माँ हमको निहारो, सोई हुई तक़दीर संवारो-२ अगर माँ की ज्योति जलाई ना होती। तो ममतामयी माँ कहाई ना होती-२ अगर मां ने ममता… हमें क्या पड़ी है हम तुम्हे मनाए, हमारा तो हक़ है की हम रूठ जाए-२
एक तमन्ना माँ है मेरी, दिल में बसा लूँ सूरत तेरी, हर पल उसीको निहारा करूँ, मईया मईया मुख से उचारा करूँ। रोज सवेरे उठ कर मैया, तुझको शीश नवाऊँ मैं। प्रेम भाव से भांति-भांति का, नित श्रृंगार सजाऊँ मैं। हाथों से आरती उतारा करूँ, मैया-मैया मुख से उचारा करूँ। इस तन से जो काम
यह भजन माता रानी की महिमा और प्रेम का अद्वितीय वर्णन करता है। यह सबल भावनाओं और आराधनाओं के माध्यम से एक भक्त के मन में माँ प्रति भाव जगाता है। शुरुआत में भक्त अपनी इच्छा व्यक्त करता है कि माँ उसे अपने दरबार में बुला लें, और वह माँ के दरशन करें। भक्त द्वारा
ऊँचे पर्वत चढ़कर जो, तेरे मंदिर आते हैं, मैया जी तेरी महिमा गाते हैं, (मैया जी तेरी महिमा गाते हैं) महिमा गाते हैं, मैया जी तेरी महिमा गाते हैं, मैया जी तेरे दर्शन पाते हैं। हे जगदम्बा महारानी, तेरा नहीं कोई सानी, तू रण में रणचंडी माँ, तू मन में शीतल है माँ, हो, तेरे
ऊंचा है भवन ऊंचा मंदिर, ऊंची है शान मैया तेरी, चरणों में झुके बादल भी तेरे, पर्वत पे लगे शैया तेरी॥ हे कालरात्रि हे कल्याणी, तेरा जोड़ धरा पर कोई नहीं, मेरी माँ के बराबर कोई नहीं, मेरी माँ के बराबर कोई नहीं। तेरी ममता से जो गहरा हो, ऐसा तो सागर कोई नहीं, मेरी
बही भक्ति की गंगा-यमुना, श्रद्धाओं के दीप जलाये। देखो फिर नवरात्रे आये। कोई माँ का भवन बुहारे, कोई तोरणद्वार सँवारे, यज्ञ-हवन में लगे सभी ही, लगा रहे माँ के जयकारे। भोग लगाता कोई माँ को, कोई चुनरी लाल चढ़ाये, देखो फिर नवरात्रे आये। अम्बर कितना चमक रहा है, मातामय हो दमक रहा है, मेघों का
सारी दुनियां की तूं है सरकार, की आजा मैया शेरावालिए। सच्चा जग में है केवल तेरा द्वार, की आजा मैया शेरावालिए॥ में तोड़ के बंधन सारे, आ बैठा हूं तेरे द्वारे। मेरे सिर पर हाथ फिराकर, मां कर दे वारे न्यारे। तूने तो भरे है सबके भंडार, की आजा मैया शेरावालिए॥ सारी दुनियां की तूं