राम को देख कर के जनक नंदिनी, बाग़ में वो खड़ी की खड़ी रह गयी। राम देखे सिया को सिया राम को, चारो अँखिआ लड़ी की लड़ी रह गयी॥ ◾️ यज्ञ रक्षा में जा कर के मुनिवर के संग, ले धनुष दानवो को लगे काटने। एक ही बाण में ताड़का राक्षसी, गिर जमी पर पड़ी