दोहा चार वेद छ: शास्त्रो में, बात मिली है दोय, दुःख दीन्या दुःख होंत है, सुख दीन्या सुख होय। राम नाम के आलसी, और भोजन में होशियार, तुलसी ऐसे मित्र को, मेरा बार बार धिक्कार॥ कबीर कमाई आपणी, कदे न निष्फल जाय, बोया पेड़ बबूल का, तो आम कहा से खाय। बोया जब वो आम