Tag: Anuradha Paudhwal

मन लेके आया माता रानी के भवन मेंVerified Lyrics 

मन लेके आया माता रानी के भवन में, बड़ा सुख पाया बड़ा सुख पाया, माता रानी के भवन में, जय जय माँ, अम्बे माँ, जय जय माँ, जगदम्बे माँ मैं जानू वैष्णव माता, तेरे ऊँचे भवन की माया। भैरव पर क्रोध में आके माँ तूने त्रिशूल उठाया। वो पर्बत जहां पे तूने शक्ति का रूप

श्री शनिदेव अमृतवाणीVerified Lyrics 

भानु लाल शनिश्चरा करुणा दृष्टि कर, नतमस्तक विनती करें हर एक संकट हर। महा गृह तू महावली शक्ति अपरम्पार, चरण शरण में जो आये उनका कर उद्धार। अपने के प्रभाव को हमसे रखियो दूर, हे रवि नंदन ना करना शांति दर्पण चूर। नटखट क्रोधी देव तुम चंचल तेरा स्वाभाव, चिंतक के घर हर्ष का होना

गूँजे सदा जयकार ओ भोले तेरे भवन मेVerified Lyrics 

गूँजे सदा जयकार ओ भोले तेरे भवन मे-2 बेलपत्र और गंगाजल से-2 भक्ति भाव से पुजा कर ले तारेंगे भव से पार, हो चलो शिव के शरण मे गूँजे सदा जयकार.. शिव का ध्यान करे मन निर्मल -2 शिव भक्ति है पुनयो का फल करते है भोले निवास, हो अपने भक्तो के मन मे गूँजे

ऐसी सुबह ना आए, आए ना ऐसी शाम।Verified 

शिव है शक्ति, शिव है भक्ति, शिव है मुक्ति धाम। शिव है ब्रह्मा, शिव है विष्णु, शिव है मेरा राम॥ ऐसी सुबह ना आए, आए ना ऐसी शाम। जिस दिन जुबा पे मेरी, आए ना शिव का नाम॥ मन मंदिर में वास है तेरा, तेरी छवि बसाई। प्यासी आत्मा बनके जोगन, तेरी शरण में आई।

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा।। जय गणेश ।। एकदन्त दयावन्त चार भुजा धारी। माथे पर तिलक सोहे, मूसे की सवारी।। जय गणेश ।। पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा। लड्डुअन का भोग लगे सन्त करे सेवा।। जय गणेश ।। अँधे को आँख देत कोढ़िन को काया बाँझन

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे। भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे || ॐ जय || जो ध्यावे फल पावे, दुःखबिनसे मन का, स्वामी दुःखबिन से मन का, सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का || ॐ जय || मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी,

सुखकर्ता दु:खहर्ता वार्ता विघ्नाची | मराठी आरतीVerified 

सुखकर्ता दु:खहर्ता वार्ता विघ्नाची। नुरवी पुरवी प्रेम कृपा जयाची॥ सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची। कंठी झळके माळ मुक्ताफळांची॥ जय देव, जय देव जय मंगलमूर्ती। दर्शनमात्रे मन कामना पुरती॥ रत्नखचित फरा तुज गौरीकुमरा। चंदनाची उटी कुमकुम केशरा॥ हिरेजडित मुकुट शोभतो बरा। रुणझुणती नूपुरे चरणी घागरिया॥ जय देव जय देव… लंबोदर पीतांबर फणिवरबंधना। सरळ सोंड वक्रतुंड त्रिनयना॥ दास

प्रथम तुला वंदितो

प्रथम तुला वंदितो कृपाला गजानना, गणराया………4 प्रथम तुला वंदितो………… विघ्न विनाशक, गुणीजन पालक……2 दुरित तिमिर हरका……2 सुखकारक तू, दुक्खा विदारक……2 तूच तुज़्य सारखा……2 वकक्रतुण्डा ब्रम्हांड नयका……2 विनायका प्रभुराय……2 प्रथम तुला वंदितो कृपाला गजानना, गणराया ………4 प्रथम तुला वंदितो ………… सिद्धि विनायक, तूच अनंता……2 शिवात्मजा मंगला……2 सिंदूर वेदना, विद्याधीशा……2 गणाधिप वत्सला………2 तूच ईश्वर सहाय करावे ………2

गणपति राखो मेरी लाज पुरण कीजो

गणपति रखो मेरी लाज पुराण कीजो मेरे काज गणपति रखो मेरी लाज पुराण कीजो मेरे काज तू भक्तो का प्यारा है सबका पालन हार है सुख दयाक भाये हरी तू करता मूषक सवारी तू तू ही विघ्न विनाशक है दीं जानो का रक्षक है तेरा ही हम नाम जापे तुझको हम प्रणाम करे सदा रहे

आज अष्टमी की पूजा करवाउंगी।

आज अष्टमी की पूजा करवाउंगी, ज्योत मैया जी की पावन जगाउंगी। हे मैया हे मैया, सदा हो तेरी जय मैया, मन की मुरादे मैं पाऊँगी, आज अष्टमी की पूजा करवाऊँगी, ज्योत मैया जी की पावन जगाउंगी।। ◾️छोटी छोटी कंजको को, घर अपने बुलाऊंगी, चरण धुलाऊं, तिलक लगाऊं, चुनरी लाल उढ़ाऊंगी, हे मैया हे मैया, पार