कलयुग बैठा मार कुंडलीVerified Lyrics
Kalyug Baitha Maar Kundali
♡
Singer(गायक): Kumar Vishu
कलयुग बैठा मार कुंडली,
जाऊं तो मैं कहां जाऊं,
अब हर घर में रावण बैठा,
इतने राम कहां से लाऊं।
दशरथ कौशल्या जैसे,
मात पिता अब भी मिल जाये,
पर राम सा पुत्र मिले ना,
जो आज्ञा ले वन जाये,
भरत लखन से भाई,
ढूंढ कहाँ अब मैं लाऊँ,
अब हर घर में रावण बैठा,
इतने राम कहां से लाऊं।
कलयुग बैठा मार कुंडली..
जिसे समझते हो तुम अपना,
जड़े खोदता आज वही,
रामायण की बातें जैसे,
लगती है सपना कोई,
तब थी दासी एक मंथरा,
जो में अब घर घर पाऊ,
अब हर घर में रावण बैठा,
इतने राम कहां से लाऊं ।
कलयुग बैठा मार कुंडली…
आज दास का खेम बना है,
मालिक से तकरार करे,
सेवा भाव तो दूर रहा,
वो वक्त पड़े तो वार करे,
हनुमान सा दास आज में,
ढूंढ कहा से अब लाऊ,
अब हर घर में रावण बैठा,
इतने राम कहां से लाऊं।
कलयुग बैठा मार कुंडली..
रौंद रहे बगिया को देखो,
खुद ही उसके रखवाले,
अपने घर की नीव खोदते,
देखे मेने घर वाले,
तब था घर का एक ही भेदी,
वही आज घर घर पाऊँ,
अब हर घर में रावण बैठा,
इतने राम कहां से लाऊं।
कलयुग बैठा मार कुंडली,
जाऊं तो मैं कहां जाऊं,
अब हर घर में रावण बैठा,
इतने राम कहां से लाऊं।