शब्द की चोट लगी मेरे मन कोVerified Lyrics
Shabd Ki Chot Lagi Mere Man Ko
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Singer(गायक): Prashant Rokade
शब्द की चोट लगी मेरे मन को,
भेद गया ये तन सारा, हो मोपे साईं रंग डारा।
सतगुरु हो महाराज, हो मोपे साईं रंग डारा।
कण कण में जड़ चेतन में, मोहे रूप दिखे इक सुंदर,
जिस के बिन मैं जी नहीं पाऊँ, साईं बसे मेरे अंदर,
पूजा अर्चन सुमिरन कीर्तन, निस दिन करता रहता,
सब वैद्य बुला के मुझे दिखाए, रोग नहीं कोई मिलता,
औषधि मूल कोई नहीं लागे, क्या करे वैद्य बिचारा,
हो मोपे साईं रंग डारा।
सतगुरु हो महाराज, हो मोपे साईं रंग डारा।
आठ फर चौसठ घड़ी, मन साईं में है लगता,
कोई कहे अनुरागी, कोई वैरागी है कहता,
भगती सागर में डूबा मैं, चुन चुन लाऊँ मोती,
जीवन में फ़ैला उजियारा, जले अलोकिक ज्योति,
सुर नर मुनि और पीर ओलिया, कौन पड़े है पारा,
हो मोपे साईं रंग डारा।
सतगुरु हो महाराज, हो मोपे साईं रंग डारा।
कैसो रंग रंगा रंगरेजा, रंग नहीं ये मिटता,
इसी रंग जीवन में वारु ऐसा सुख मोहे मिलता,
साईं साईं साईं जिव्हा सदा है रटती,
दुनिया मुझको पागल कहती, मैंने पाई भक्ति,
कहत कबीर सरोवर रंगियाँ, सब रंग से रंग न्यारा,
हो मोपे साईं रंग डारा।
सतगुरु हो महाराज, हो मोपे साईं रंग डारा।