श्याम से श्यामा बोली, चलो खेलेंगे होली। श्याम से श्यामा बोली, चलो खेलेंगे होली।। बाग़ है यह अलबेला, लगा कुंजो में मेला-2 हर कोई नाचे गाये, रहे कोई ना अकेला-2 झूम कर सब ये बोलो, हर बरस आये यह होली-2 चलो खेलेंगे होली, चलो खेलेंगे होली-2 श्याम से श्यामा बोली, चलो खेलेंगे होली-2 कभी वृन्दावन
ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय जो शिव को ध्याते हैं, शिव उनके हैं शिव को ना गर्ज कोई, छोटी बड़ी बात से शिव तो हैं खुश होते, भवाना की बात से मानव हैं पाते उसे निश्चय से जप से दानव वरदान लेते बरसों के तप से जो श्रदा दिखाते हैं, जो श्रदा दिखाते हैं
वो है जग से बे-मिसाल सखी, माँ शेरोवली कमाल सखी, तुझे क्या बतलाऊ, वो है कितनी दीनदयाल, सखी री तुझे क्या बतलाऊ, तुझे क्या बतलाऊ॥ जो सच्चे दिल से, द्वार मैय्या के जाता है, वो मुँह माँगा वर, जग जननी से पाता है॥ फिर रहे ना वो, कंगाल सखी, हो जाए, मालामाल सखी, तुझे क्या
पर्वत की चोटी, चोटी पे ज्योति, ज्योति दिन रात जलती है, हो… झिलमिल सितारों की, ओढ़े चुनर माँ, शेर पे सवार मिलती है, ज्योति दिन रात जलती है। लाल चुनरिया, लाल घगरिया, माँ के मन भाए, लाल लांगुरिया, लाल ध्वजा, मईया की लहराए, करे नजरिया, जिसपे मईया, भाग्य चमक जाए, है इतनी भोली, भरती है
दिल की हर धड़कन से तेरा नाम निकलता है, तेरे दर्शन को मोहन तेरा दास तरसता है। जन्मो पे जनम लेकर मै हार गया मोहन, दर्शन बिन व्यर्थ हुआ हर बार मेरा जीवन। अब धैर्य नहीं मुझमे इतना तू परखता है, दिल की हर धड़कन से तेरा नाम निकलता है। तेरे दर्शन को मोहन तेरा
यशोमती मैया से बोले नंदलाला…x2 राधा क्यों गोरी मैं क्यों काला…x2 हो… यशोमती मैया से बोले नंदलाला राधा क्यों गोरी मैं क्यों काला…x2 बोली मुस्काती मैया ललन को बताया…x2 कारी अंधियरी आधी रात में तू आया लाडला कन्हैया मेरा हो… लाडला कन्हैया मेरा काली कमली वाला इसीलिए काला… यशोमती मैया से बोले नंदलाला राधा क्यों
श्री राम से कह देना एक बात अकेले में रोता है भरत भैया दिन रात अकेले में श्रीं राम से कह देना एक बात अकेले में आ लौट आ मेरे प्यारे भैया आ लोट के आ मेरे प्यारे भैया वनवासी गए वन में फिर भी तो यही मन में रटता हूँ राम रटना दिन रात
भोर भई अब जागो।।2।। (भोर भई अब जागो ) भोर भई अब जागो भोले।।2।। भोर भई अब जागो भक्त खड़े है द्वार पे तेरे।।2।। अब निद्रा को त्यागो भोर भई अब जागो भोले भोर भई अब जागो, जागो (भोर भई अब जागो, जागो) ओढ़ के सर पे लाल चुनरिया आ गयी उषा रानी कलरब करते
मैया मोरी, मैं नहीं माखन खायो। कहत सुनत में आकर काहे झूठा दोष लगायो, री मैया मोरी, मैं नहीं माखन खायो। यमुना के तट पर ग्वाल बन संग चार सहार मैं खेला गैइया चरावत बंसी बजावत साँझ की बेला भूक लगी तो दौड़त दौड़त सीधा मैं घर आयो मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो…… न