जब से देखा तुम्हे जाने क्या हो गया, ओ शिरडी वाले बाबा मैं तेरा हो गया, तू दाता है तेरा पुजारी हूँ मैं, तेरे दर का ए बाबा भिखारी हूँ मैं, तेरी चौखट पे दिल है मेरा खो गया, ओ शिरडी वाले बाबा मैं तेरा हो गया, जब से मुझको ए श्याम तेरी भक्ति मिली,
मोहन से दिल क्यूँ लगाया है, यह मैं जानू या वो जाने। छलिया से दिल क्यूँ लगाया है, यह मैं जानू या वो जाने ॥ हर बात निराली है उसकी, कर बात में है इक टेडापन । टेड़े पर दिल क्यूँ आया है, यह मैं जानू या वो जाने ॥ जितना दिल ने तुझे याद
मेरे दिल की पतंग में श्याम की डोर तू लगाई देना कहीं और ना उड़ जाए इसे खाटू धाम उड़ाई देना मेरें दिल की पतंग में श्याम की डोर तू लगाई देना बड़े बड़े संकट टल जाते हैं जब साथ हो श्याम हमारा हर विपदा पर भारी पड़ता श्री श्याम का एक जयकारा सांवरिया तेरी
श्याम हमारे दिल से पूछो कितना तुमको याद किया याद में तेरी मुरली वाले जीवन यूँ ही गुजार दिया । पल पल हर पल तुमको पुकारू जनम जनम से बाट निहारु कर दे कृपा तोपे तन मन वारू अपने बाग का फूल समझ कर प्रेम करो कृष्णा प्रेम करो कृष्णा.. श्याम हमारे दिल से पूछो
तेरे दर का मैं बनके सवाली, मैया जी तेरे दवार आ गया, मेरी अर्ज सुनो माँ झंडेवाली, मैया जी तेरे दवार आ गया। तेरे मंदिरों की मैया शोभा नयारी, दर पे जो आया कभी दीन भिखारी, गया दर से कभी न कोई खाली, मैया जी तेरे दवार आ गया…..। तेरे पुजारियों को मिले तेरा प्यार
दिनबंधु दीनानाथ मेरी सुध लीजिए, दीनो के दयाल दाता मोपे दया कीजिए। खेती नाहीं बाड़ी नाहीं, बीणज व्यापार नाहीं, एसों कोई सेठ नाहीं, जाँ से कछु लीजिए दीनो के दयाल दाता….|1| भाई नाहीं बन्धु नाहीं, कूटुंब कबीलो नाहीं, एसों कोई मित्र नाहीं, जाँ से कच्छु लिजये दीनो के दयाल दाता….|2| सोने को सुनैयो नाहीं, रूपै
करते हो कीलकार बाग़ मे करते हो किलकारी, वीर बजरंगी बाँदरिया संगी करते हो किलकार वीर बजरंगी। लाल लंगोटा हाथ में घोटा, गल पुष्पन की माला, अंजनी लाला दिनदयाला, करो पलक में सहाय वीर बजरंगी। तुलसीदास संत मुख गाई राम छवि मन भाई, गृत विप्र का रूप धारकर उनको राह दिखाई, राम मिलन की सुध
अंजनी कुमार थारी महिमा अपार हैं, मेरी बिगड़ी बनाने वाले तेरा सर्जन हार हैं। शिव शंकर के अवतारी और पवन पुत्र बलकारी, थे बाल ज़ती ब्रह्मचारी तेरा हाई आधार है। श्री लाल लंगोटे वाला थारी भक्त फेरता मला, थे सबका हो प्रतिपाला भक्तों से प्यार है। मैं द्वारे तुम्हारे आया और घृत सिंदूर चड़ाया, गल