मन परेशान है दिल भी हैरान है हारता जा रहा तू कहाँ श्याम है। चलते चलते प्रभु आ गया मैं कहाँ कुछ खबर ही नही कुछ नही ज्ञान है। मन परेशान है दिल भी हैरान है कारवा जा रहा तू कहाँ श्याम है। है कठिन ये सफर दूर मंज़िल बड़ी ना तो है रहगुजर मुश्किलें
ले गुरु का नाम, बंदे यही तो सहारा है, ये जग का पालनहारा है, लें गुरु का नाम, बंदे यही तो सहारा है। तारीफ़ क्या करू, उस दीन-दाता की, दयालु नाम है, दीन दुखियो के, दामन को भर देना, गुरु का काम है, लाखो की तकदीर, लाखो की तकदीर, बस मालिक ने संवारा है, ले
शिव शम्भो शिव शम्भो, शम्भो करतो सब संभव, ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्, उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥ बड़े भाग्य से मिला है जीवन, जीव जगत जल थल कण कण, अंडज पिंडज जड़ चेतन, सब में है शिवयम वंदन॥ शिव शम्भो शिव शम्भो, शम्भो करतो सब संभव। यह भवसागर की उथल पुथल, और कर्मो के लेख
सांचा है तेरा दरबार मैया शेरावाली, ऊँचे ऊँचे पर्वत वाली सचिया सचियाँ ज्योता वाली, तू ही दुर्गा तू ही काली, सांचा है तेरा दरबार मैया शेरावाली। चण्ड और मुंड ने स्वर्ग को गेरा और उत्पात मचाया, देवता सारे शरण में आये मईया तुम को मनाया, रोदर रूप माँ तुमने धारा चण्ड और मुंड को तुमने
हे करुणामयी राधे, मुझे बस तेरा सहारा है, अपना लो मुझे श्यामा, तेरे बिन कौंन हमारा है। हे करुणामयी राधे… कोई किसी का नहीं जहाँ में, झूठी जग की आस-२ हम बेबस लाचारों की श्यामा, तुम से यही अभिलाष-२ दीनों पे कृपा करना, यही स्वभाव तुम्हारा है-२ हे करुणा मयी राधे… गहरी नदिया नांव पुरानी
॥दोहा॥ गाँव रूनीचे बिराजीया, बाबो दर्शन दीना आय, भादरवा री बीज ऊजाली, प्रगट्या आंगनीया रे माय, ओ रामाधणी आया, अजमल आंगनीया रे माय॥ बाबा गाँव रूनीचे, भला बिराज्या आप, धणी जुगडा रे माय, ओ म्हाने दर्शन देवो, टाबर आयो आज धाम, चरना रे माय ए हा॥ ओ बाबा बीज ऊजाली, आप पधारीया, इन धोरां धरती
म्हाने कोठी थे बणवा दो, सालासर माहीं बालाजी, ओ बाबा, थारो पड़ौसी बणा ल्यो, ओ म्हारा अंजनी का लाला जी। राम नाम की इंट लगाइयो, कोठी के रंग सिन्दूरी कराइयो, उ पर लाल धजा लहरा दयो-२ सालासर माहीं बालाजी, मन्ने कोठी थे बनवा दो, सालासर माई बालाजी। कोठी को गेट खुले, थारा दरबार में, दर्शन
जब से खाटू आया, खाटूवाला बना मेरा, अपने ना बने अपने, अपने ना बने अपने, इसने पकड़ा हाथ मेरा, जब से खाटु आया, खाटू वाला बना मेरा।। मुफ़लिस में जो सोचा था, ये ना मिल पाएगा कभी, मैं सोच के भूल गया, इसने लिख ही लिया था तभी, मेरी सोच बदल करके, सपना किया पूरा
ओ भगवान को भजने वाले धर ले मन में ध्यान, भाव बिनु मिले नहीं भगवान, दुर्योधन की छोड़ी मेवा विदुरानी की भा गयी सेवा श्रध्हा और समर्पण से ही रीझै है भगवान भाव बिनु मिले नहीं भगवान … ||1|| झूठे फल शबरी के खाए राम ने रूचि रूचि भोग लगाए जो ढूंढे उसको मिल जाये
क्या बैकुंठ क्या स्वर्ग का करना, मुझको जान से प्यारा, खाटू धाम हमारा, हो खाटु धाम हमारा, इसके आगे फीका लगता, है हर एक नज़ारा, खाटु धाम हमारा, खाटु धाम हमारा।। खाटू की धरती पावन, जहाँ बाबा का है बसेरा, मेरा तो स्वर्ग वही पे, जहाँ श्याम धणी का डेरा, इससे सुन्दर कुछ भी नहीं