जब रावण पापी न माना, प्यार से बात तुम्हारी, जय सिया राम की बोल के तुमने, फूंक दी लंका सारी, सीता बोली बजरंग बाला मैं जाऊ बलहारी, जय सिया राम की बोल के तुमने, फूंक दी लंका सारी। अज्ञानी पापी ने तुम्हरी, पूंछ में आग लगा दी, मन में दबी थी क्रोध की ज्वाला, जुल्मी
हर जन्म में भैरव तेरा साथ चाहिए, सर पे मेरे दादा तेरा हाथ चाहिए। सिलसिला ये टूटना नहीं चाहिए, मुझको तो बस इतनी सी सौगात चाहिए॥ हर जन्म में भैरव तेरा साथ चाहिए, सर पे मेरे दादा तेरा हाथ चाहिए। मेरी आंखों के तुम तो तारे हो, जान से ज्यादा मुझे प्यारे हो। रूठे सारी
मीठी बाँसुरी बजा नंदलाल गोकुल का काकड में, (मीठी बाँसुरी बजा नंदलाल गोकुल का काकड में) काकड में रे कान्हा रे काकड में॥ आपा गाया चरासा दिनभर साथ गोकुल का काकड में, (आपा गाया चरासा दिनभर साथ गोकुल का काकड में) काकड में रे कान्हा रे काकड में कान्हा रे काकड, मीठी बाँसुरी बजा नंदलाल
लेके पूजा की थाली, ज्योत मन की जगा ली, तेरी आरती उतारू भोली माँ। तू जो देदे सहारा, सुख जीवन का सारा, तेरे चरणों पे वारु भोली माँ। ओ माँ… ओ माँ.. धुल तेरे चरणों की लेकर, माथे तिलक लगाया, यही कामना लेकर मैया, द्वारे तेरे मैं आया। रहु मैं तेरा होके, तेरी सेवा में
माता रानी करेगी बेडा, कर ले भगतो का कल्याण, अपने बच्चों का कल्याण, माता रानी करेगी बेडा… एक तरफ भगवान खड़े हो एक तरफ माँ प्यारी, पहले माँ माता को पूजूँ फिर भगवान् की बारी, सब जपे हे तेरा नाम करे भगतो का कल्याण, माता रानी करेगी बेडा… ब्रह्मा विष्णु शिव शंकर जी माँ को
कोठे ऊपर कोठरी मैया का भवन सजा दूंगी, जो मेरी मैया टिका माँगे बिंदी और लगा दूंगी, जो मेरी मैया पैहर के निकलै जयकारा लगा दूंगी, कोठे ऊपर कोठरी मैया का भवन सजा दूंगी॥ जो मेरी मैया कुंडल माँगे नथनी भी पैहरा दूंगी, जो मेरी मैया पैहर के निकलै जयकारा लगा दूंगी, कोठे ऊपर कोठरी
मातारानी का दरबार सजाया है, दूर दूर से भक्तों को बुलाया है, दुख को हरे झोली भरे, दयालू है मेरी माँ, माता रानी का दरबार सजाया है, दूर दूर से भक्तों को बुलाया है। आई दुनिया त्याग के, मैया की शरण में, सच्चा सुख और चैन है, मैया के चरण में, सेवा करूँ दिन रात
भक्त राज हनुमान का, सुमिरण है सुख कार, जीवन नौका को करे, भव सिन्धु से पार। संकट मोचन नाथ को, सौंप दे अपनी डोर, छटेगी दुखों को पल में, छायी घटा घनघोर। जब कष्टों के दैत्य को, लगेगा बजरंग बाण, होगी तेरी हर मुश्किल, धडियों में आसान। महा दयालु हनुमत का, जप ले मनवा नाम,
क्यों बन रहा तू जिव भिखारी, तू शुद्ध चेतन ब्रह्मा अपार। मल माया और कर्म अज्ञाना, ग्रंथि चार माहि जिव बंधाना। खुले तो पावे पद निर्वाणा, हो ब्रह्मरूप ततसार। सतगुरु मिले उपकारी, क्यों बन रहा तू जिव भिखारी॥ जिव ब्रह्मा में अंतर ऐसा, घटाकाश महाकाश जैसा। घट फूटे वैसा का वैसा, श्रुति संत कियो निर्धर।