कच्चे धागों का ये रिश्ता

Kache Dhagon Ka Ye Rishta

कच्चे धागों का ये रिश्ता
बन जाता है बचपन से…
मरते दम तक साथ निभाये
बंध के रक्षा बंधन से…

धागों से बांधा,
एहसास दिल के रिश्ते का…
रिश्ता ये अपना रब की रुबाई।

मैं राहु ना मैं तेरे बिना,
तू रहे ना तू मेरे बिना(x2)

चार दिशाओ जैसी तुम हो,
मेरे लिए जरुरी…

तुम ना हो तो हर दिन आधा,
हर एक शाम अधूरी…

आधा मुझे रहना नहीं,
कुछ कम लगे वो घर मुझे
जिसमे कोई बहना नहीं…

यादो से बांधा…
जज़्बा ये अपने रिश्ते का,
रिश्ता ये अपना रब की रुबाई।

मैं राहु ना मैं तेरे बिना,
तू रहे ना तू मेरे बिना…(x2)

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *