कभी फुर्सत हो तो जगदम्बेVerified Lyrics
Kabhi Fursat Ho To Jagdambe
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Singer(गायक): Manoj Burman, Soham
कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे,
निर्धन के घर भी आ जाना।
(कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे,
निर्धन के घर भी आ जाना)
जो रूखा सूखा दिया हमें,
कभी उस का भोग लगा जाना॥
कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे,
निर्धन के घर भी आ जाना।
ना छत्र बना सका सोने का,
ना चुनरी घर मेरे तारों जड़ी।
ना पेडे बर्फी मेवा है माँ,
बस श्रद्धा है नैन बिछाए खड़े॥
इस श्रद्धा की रख लो लाज हे माँ,
इस अर्जी को ना ठुकरा जाना।
जो रूखा सूखा दिया हमें,
कभी उस का भोग लगा जाना॥
जिस घर के दिए मे तेल नहीं,
वहां जोत जगाऊँ मैं कैसे।
मेरा खुद ही बिछोना धरती पर,
तेरी चोंकी सजाऊँ मै कैसे॥
जहाँ मैं बैठा वही बैठ के माँ,
बच्चों का दिल बहला जाना।
जो रूखा सूखा दिया हमें,
कभी उस का भोग लगा जाना॥
तू भाग्य बनाने वाली है,
माँ मैं तकदीर का मारा हूँ।
हे दाती संभालो भिकारी को,
आखिर तेरी आँख का तारा हूँ॥
मै दोषी तू निर्दोष है माँ,
मेरे दोषों को तूं भुला जाना।
जो रूखा सूखा दिया हमें,
कभी उस का भोग लगा जाना॥
कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे,
निर्धन के घर भी आ जाना।
कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे॥