दोहा : राम नाम के कारण सब धन दीन्हा खोय, मूर्ख जाणो घट गयो दिन दिन दूनो होय। टेर : राम नाम का सुमिरन करले फेर प्रेम की माला, उसका दुश्मन क्या कर सकता जिसका राम रखवाला। हिरणाकुश प्रह्लाद भगत का जनि दुशमन बनके, जल्लादों को हुकम दे दिया फांसी दो दुश्मन के, बांध पोट
शास्त्रों के अनुसार भगवान को आरती के बाद भोग लगाया जाता है। आज हम श्री राम जी का बहुत ही सूंदर भोग लेके आये है। जो निसंदेह आपको श्री राम जी के साथ भाव से जोड़ देगा और आपको मन में शांति और श्रद्धा का भाव पैदा करेगा तो आएंगे मेरे साथ इस राम जी
आज हम श्री राम जी का बहुत ही सूंदर भजन लेके आये है। जो निसंदेह आपको श्री राम जी के साथ भाव से जोड़ देगा और आपको मन में शांति और श्रद्धा का भाव पैदा करेगा। || मिलता है सच्चा सुख केवल भगवान तुम्हारे चरणों में, श्रीराम तुम्हारे चरणों में हनुमान तुम्हारे चरणों में ||
टेर : तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार उदास मन काहे को करे नैया कर तूं प्रभु के हवाले लहर लहर हरी आप संभाले हरि आप उतारेंगे पार उदास मन काहे को करे तेरा रामजी करेंगे…… काबू में मझधार उसी के हाथों में पतवार उसी के बजी जीत ले ओ चाहे हार उदास मन काहे को
टेर : राम नाम के हीरे मोती मैं बिखराऊ गली गली, ले लो रे कोई राम का का प्यारा आवाज लगाऊ गली गली। दौलत के दीवानों सुन लो एक दिन ऐसा आवेगा, धन दौलत और रूप खजाना यहीं धरा रह जावेगा, सूंदर काया माटी होगी चर्चा होगी गली गली। ले लो रे….. मित्र प्यारे सगे
टेर : सीताराम सीताराम सीताराम कहिये, जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिये। मुख में नाम राम सेवा हाथ में, कैसे तूं अकेला प्राणी राम तेरे साथ में, विधि का विधान जान लाभ हानि सहिये। जाहि ….. जिंदगी की डोर छोड़ राम जी में, महलों में राखों चाहे झोपड़ी में बास दे, धन्यवाद निर्विवाद राम
दोहा : वर दीजो हनुमान अब ,किरपा करो हे नाथ ,राम राम रटता रहू, हो भक्तो का साथ। टेर : हमें राम का दर्श करादो जी, हे अंजलि का लाल। था तुलसीदास दास बड़ा भागी, जाके राम लखन हिये लागी ,तेरी कृपा से किस्मत जागी जी
भरोसा कर तू ईश्वर पर, तुझे धोखा नहीं होगा । यह जीवन बीत जायेगा, तुझे रोना नहीं होगा ॥ कभी सुख है कभी दुख है, यह जीवन धूप-छाया है । हँसी में ही बिता डालो, बिताना ही यह माया है ॥ जो सुख आवे तो हंस लेना, जो दुःख आवे तो सह लेना । न
प्रबल प्रेम के पाले पड़कर, प्रभु को नियम बदलते देखा। अपना मान भले टल जाये, भक्त मान नहीं टलते देखा। जिसकी केवल कृपा दृष्टि से, सकल विश्व को पलते देखा। उसको गोकुल में माखन पर, सौ-सौ बार मचलते देखा। जिसके चरण कमल कमला के, करतल से न निकलते देखा। उसको ब्रज की कुंज गलिन में,
रहे रहे के अपने आँगन की, सबको याद सताये, होता न कम प्रेम तनिक भी, दूर भले ही जाए, धरती पर आकर प्रभु ने, दिन जो अपने बिताये, कोशिश करके भी रघुवर से, जाते ना होंगे भुलाये। आये थे कभी धरती पे तुम, दिन याद तुम्हे आते होंगे-२ खाते हुए भोजन भीलनी के-२ प्रभु बेर