म्हारी हालो ये रेल भवानी सतगुरु जी के चला देश(2) म्हारी हालो ये… जब हुई टिकट की त्यारी म्हारा सतगुरु खोली बारी, इमे बैठ सभी नर नारी सुमरला देव गणेश। म्हारी हालो ये… इंजन न मारी सिटी म्हारा सतगुरु बंगा टीटी, आ दुनिया रेगी रीति, जाका चड़ ग्या भरम कलेश। म्हारी हालो ये… आ हरियल
मैं कहाँ बिठाऊ राम कुटिया छोटी छोटी सी, छोटी छोटी सी हाँ छोटी छोटी सी, मैं कहाँ बिठाऊ राम कुटिया छोटी छोटी सी, छोटी सी छोटी सी कुटिया मेरी छोटी सी। गंगा से मैं जल ले आऊ, जल से तुम्हारे चरण धुलाऊ, तुम चरण धुलालो राम कुटिया छोटी सी, मैं कहाँ बिठाऊ राम कुटिया छोटी
मैं राम भजु गुरु को ना बिसारुं, गुरु के संग हरी को ना निहारूं, मैं राम भजुँ गुरु को ना बिसारुं। हरी ने जनम दियो जग माहि, गुरु ने आवागमन छुड़ाई, मैं राम भजुँ गुरु को ना बिसारुं। हरी ने मोह जाल में घेरी, गुरु ने काटी ममता बेड़ि, मैं राम भजुँ गुरु को ना
रामा केहि विधि आऊं मैं पास तिहारे रामा केहि बिधि, रामा केहि बिधि बादर बन उड़ जाऊं अवध को बरसी बरसी पखारू चरण को मोर बनूँ उत नाच दिखाऊं रामा केहि बिधि आऊं मैं पास तिहारे बनूँ शिला जो तुम चरण छुआ दो बांस बन जाऊं तुम धनु ही बना लो काठ होय बनी जाऊं
निकल न जाए हाथ से तेरे मौका ये अनमोल, जय माता दी बोल बंदे जय माता दी बोल | आके देख ले सजा दरबार अम्बे रानी का, सुख वरदानी का जग कल्याणी का, देती छप्पर फाड़ के मैया झोली ले तू खोल, जय माता दी बोल बंदे जय माता दी बोल| कौन जाने कब नसीबा
दाता नहीं है श्रीराम के जैसा, सेवक नहीं है हनुमान के जैसा, आंख उठा कर देखा जग में सारा जगत भिखारी, काम क्रोध मद लोह मोह में लिपटे सब नर नारी, पाप नहीं कोई अभिमान के जैसा, दाता नहीं है श्री राम के जैसा, पड़ कर देखो रामायण बस एक ही बात सिखाये, वो नर
जो खेल गए प्राणों पे, श्री राम के लिए, एक बार तो हाथ उठालो, मेरे हनुमान के लिए, जो खेल गए प्राणो पे, श्री राम के लिए एक बार तो हाथ उठालो, मेरे हनुमान के लिए।। सागर को लांघ के इसने, सीता का पता लगाया, प्रभु राम नाम का डंका, लंका में बजा के आया,
राम गुण गायो नहीं आय करके, जमसे कहोगे क्या जाय करके, गर्भ में देखी नरक निसानी, तब तू कौल किया था प्रानी। भजन करुँगा चित्त लाय करके॥१॥ बालपनेमें लाड लडायो, मात-पिता तने पालणे झुलायो। समय गमायो खेल खाय करके॥२॥ तरुण भयो तिरिया संग राच्यो, नट मर्कट ज्यों निशदिन नाच्यो। माया में रह्यो रे भरमाय करके॥३॥
करो भजन मत डरो किसी से, ईश्वर के घर होगा मान इसी भजन से, राम भजन से हृदय में उपजैगा ज्ञान॥टेर॥ भजन कियो प्रह्लाद भक्त नै, बार बार कारज सार्यो। हिरणाकुश नै, हा असुर नै, राम नाम लाग्या खारा॥ हिरणाकुश यूँ कही पुत्र सँ बचन नहीं मान्या मेरा। तोय भी मारता, बता सच, राम नाम