श्री रामचंद्र आश्रित पारीजात है, समस्त कल्याण गुना। विरामः सीता मुखम गुरुचंचरिकः निरन्तरं मंगल मतनुत॥ जय रघुनन्दन जय सियाराम-२ हे दुःख भंजन तुम्हे प्रणाम-२ जय रघुनन्दन जय सियाराम-२ भाट भाट को है परमेशवर, शनैः तुम्ही सिखलाते-२ नर नारी के प्रेम की ज्योति, जग में तुमहि जलाते। हो नैया के खेवन हरे, जपु मई तुम्हारे नाम,
श्रीगणेशायनमः श्रीजानकीवल्लभो विजयते श्रीरामचरितमानस पञ्चम सोपान श्री सुन्दरकाण्ड ॥श्लोक॥ शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदं ब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम्। रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिं वन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूडामणिम्॥1॥ भावार्थ:-शान्त, सनातन, अप्रमेय (प्रमाणों से परे), निष्पाप, मोक्षरूप परमशान्ति देने वाले, ब्रह्मा, शम्भु और शेषजी से निरंतर सेवित, वेदान्त के द्वारा जानने योग्य, सर्वव्यापक, देवताओं में सबसे बड़े, माया से मनुष्य
नगरी हो अयोध्या सी,रघुकुल सा घराना हो, चरन हो राघव के, जहा मेरा ठिकाना हो। लक्ष्मण सा भाई हो, कौशल्या माई हो, स्वामी तुम जैसा मेरा रघुराई हो, नगरी हो अयोध्या सी, रघुकुल सा घराना हो। हो त्याग भरत जैसा, सीता सी नारी हो, लव-कुश के जैसी सन्तान हमारी हो, नगरी हो अयोध्या सी, रघुकुल
दुनिया में तेरा है बड़ा नाम, आज मुझे भी तुझसे पड़ गया काम। मेरी बिनती सुने तो जानूं… मेरी बिनती सुने तो जानूं, मानूं तुझे मैं राम, राम नहीं तो कर दूंगा, सारे जग में तुझे बदनाम। दुनिया में तेरा है… मैं नहीं कहता, कहते हैं सारे, मैं नहीं कहता, कहते हैं सारे, तूने बनाये
जगदाती पहाड़ों वाली माँ, मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ। (जगदाती पहाड़ों वाली माँ, मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ) मेरा और सहारा कोई ना, (मेरा और सहारा कोई ना) मेरी लाज बचाने आ जाओ, (मेरी लाज बचाने आ जाओ) जगदाती पहाड़ों वाली माँ, मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ। (मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ) मैं निर्बल निर्धन
जग में सुन्दर है दो नाम, चाहे कृष्ण कहो या राम बोलो राम राम राम, बोलो श्याम श्याम श्याम जग में सुन्दर है दो नाम, चाहे कृष्ण कहो या राम बोलो राम राम राम, बोलो श्याम श्याम श्याम माखन ब्रज में एक चुरावे, एक बेर भीलनी के खावे प्रेम भाव से भरे अनोखे, दोनों के
सजा दो घर को गुलशन सा, अवध में राम आए हैं, अवध मे राम आए है, मेरे सरकार आए हैं, लगे कुटिया भी दुल्हन सी, अवध मे राम आए हैं, सजा दो घर को… पखारों इनके चरणों को, बहा कर प्रेम की गंगा, बिछा दो अपनी पलकों को, अवध मे राम आए हैं, सजा दो
रामामृत पद पावन वाणी, राम नाम धुन सुधा सामानी, पावन पाथ राम गन ग्राम, राम राम जप राम ही राम।। परम सत्य परम विज्ञान, ज्योति स्वरूप राम भगवान, परमानंद, सर्वशक्तिमान, राम परम है राम महान।। अमृत वाणी नाम उच्चाहरान, राम राम सुख सिद्धिकारण, अमृतवानी अमृत श्री नाम, राम राम मुद मंगल धाम।। अमृतरूप राम-गुण गान,