रो रो कर श्याम तुम्हे आवाज़ लगाता हूँ, क्यों सुनते नहीं मोहन मैं तुमको बुलाता हूँ। अपने इस सेवक पर इतना ना ज़ुल्म करो, कमज़ोर बड़ा हूँ मैं थोड़ा तो रहम करो। कैसे अब क्या मैं करूँ कुछ समझ ना पाता हूँ, क्यों सुनते नहीं मोहन मैं तुमको बुलाता हूँ। करके कोशिश लाखों आखिर मैं
मानव तू है मुसाफिर, दुनिया है धर्मशाला, संसार क्या है सपना, वो भी अजब निराला॥ ये रेन है बसेरा, है किराये का ये डेरा, उसमें फसा है ये फेरा, ये तेरा है ये मेरा॥ शीशे को मान बैठा, तू मोतियों की माला, संसार क्या है सपना, वो भी अजब निराला, मानव तू है मुसाफिर, दुनिया
ये भगवा रंग, रंग रंग, जिसे देख जमाना हो गया दंग, जिसे ओढ़ के नाचे रे बजरंग, मुझे चढ़ गया भगवा रंग रंग, मुझे चढ़ गया भगवा रंग रंग॥ ये भगवा रंग है ऋषि मुनि, और संतो का, हिन्द के वीर बलियो का, और महंतो का, मुझें चढ़ गया भगवा रँग रंग, मुझें चढ़ गया
भक्तो फूलो की बरसात करो, दर्शन देने माँ झंडे वाली आई है, झंडे वाली का दर्श निराला है, कण-कण में ज्योत समाई है, भक्तो फूलो की बरसात करो। जो भी माँ की महिमा गाते है, वो मन की मुरादे पाते है, जिस मन में माँ बसे माँ की मूरत, उसने ही जन्नत पाई है, भक्तो
लिख दो म्हारे रोम रोम में, राम राम हो रमापति, राम राम हो उमापति, लिख दो जय सियाराम जी। शीश पे म्हारे शिवजी लिख दो, कानो पे कन्हैया राम, नैणो में नरसिंह लिख दो, नाक पे नंदलाला राम। लिख दो म्हारे रोम रोम में, राम राम हो रमापति, राम राम हो उमापति, लिख दो जय
अजी मैं तो राम ही राम, भजूँ री मेरे राम… राम ही पार लगावेंगे.. जल थल गगन मण्डल में राम राम ही पार लगावेंगे.. तन मोरा राम, मन मोरा राम तन मोरा राम, मन मोरा राम.. मोरा कण-कण हो.. राम ही राम राम ही पार लगावेंगे। बाहर राम, भीतर राम बाहर राम, भीतर राम.. मोरा
संतो सुरगा सु आयो संदेश, बुलावो आग्यो राम को, ओ बुलावो आग्यो राम को। एक मिनट प्रभु माने दीज्यो, तो करा बेटा से बात, अलमारी में पैसा पड़िया, आपस में लीज्यो थे तो बाट। बुलावो आग्यो राम को, ओ संतो सुरगा सु आयो संदेश, बुलावो आग्यो राम को। दुसरो मिनट प्रभु माने दीज्यो, म्हे करा
जो राम को लाए हैं, हम उनको लाएंगे, दुनियां में फिर से हम, दुनियां में फिर से हम, भगवां लहरायेंगे, यूपी में फिर से हम, भगवा लहरायेंगे॥ अयोध्या भी सजा दी है, काशी भी सजा दी है, मेरे श्याम कृपा कर दो, घनश्याम कृपा कर दो, मथुरा भी सजायेंगे, यूपी में फिर से हम, भगवा
हो गए भव से पार लेकर नाम तेरा(२) हो गए भव से पार लेकर नाम तेरा(२) बाल्मीक अति दीन हीन थे, बुरे कर्म में सदा लीं थे। करी रामायण तयार लेकर नाम तेरा, हो गए भव से पार… हो गए भव से पार लेकर नाम तेरा(२) थे नल नील जाति के वानर, राम नाम लिख
तेरी हो रही जय जयकार, मैया आ जाओ, तेरी महिमा अपरंपार, मैया आ जाओ, तेरी हो रही जय जयकार, मैया आ जाओ-२ मैया मेरी शेरावाली, मईया मेरी जोतावाली, मैया मेरी पहाड़ावाली, मैया मेरी मेहरांवाली, हो कर के शेर सवार, मैया आ जाओ, तेरी हो रही जय जयकार, मईया आ जाओ, तेरी महिमा अपरम्पार, दरश दिखा