ॐ शिव ॐ शिव ॐ शिव ॐ शिव ॐ शिव ॐ शिव रटता जा। नमः शिवाय नमः शिवाय, नमः शिवाय भजता जा॥ शिव शंकर कैलाशपति है, अंग वभूति रमाते है। जटाजूट में गंग बिराजे, गंगाधर को रटता जा॥ …नमः शिवाय भांग धतुरा भोग लागत है, गले सर्पों की माला रे। नंदी की असवारी सोहे, नन्दीश्वर
भोले जपो जपो मन प्यारा मुक्ति मिले मिले छुटकारा तुझको जपना होगा तुझको जपना होगा भोले का जो नाम गाता नहीं है उसके कोई काम आता नहीं है भोले चरण को अगर जो बिसारे लगती नहीं नाव उसकी किनारे तुझको जपना होगा तुझको जपना होगा भोले जपो जपो मन प्यारा मुक्ति मिले मिले छुटकारा ऐसा
दीप धूप पूजन चली शिव भोला भंडारी जाग जाग केलाश के वासी शिव भोला भंडारी… भूखे को अन प्यासे को पानी देताये भोला भर्फानी जिस ने भी वर माँगा ये वर देता बाबा ओ वरदानी आग से खेले खेल निराले ये बाबा विष धारी शिव भोला भंडारी…. शिव की जटा से बेहती है गंगा आँखों
गूँजे सदा जयकार ओ भोले तेरे भवन मे-2 बेलपत्र और गंगाजल से-2 भक्ति भाव से पुजा कर ले तारेंगे भव से पार, हो चलो शिव के शरण मे गूँजे सदा जयकार.. शिव का ध्यान करे मन निर्मल -2 शिव भक्ति है पुनयो का फल करते है भोले निवास, हो अपने भक्तो के मन मे गूँजे
बिगड़ी मेरी बना दो, दुःख दर्द सब मिटादो दुःख सब के हरने वाले, मेरे बाबा भोले भाले मेरे शम्बू भोले भाले, मेरे बाबा भोले भाले॥ कोई भूल हो गयी हो, मेरे स्वामी माफ़ करना सेवक हैं हम तो तेरे, तुम दाता हो हमारे॥ दुःख संकटों से बाबा मुश्किल में घिर रहा हूँ शम्भू मुझे बचालो,
टेर : भजले मन मेरा शंकर दीनदयाल । शीश ऊपर बहती, जिनके गंगाजी की धार है,मारती हिलोरे नर, नैया बेडा पार है गले बीच शेष सोहे, सर्पों का हर है भस्मी रमावे शिव, गले मुंड माल है डमरू बजावे भोला, बैल पर असवार है बाएं अंग पार्वती शोभा, अपमम्पार है। सच्चा तो सुनता सवाल क्रोध
टेर : भज शंकर दीन दयाल कटे भव जाल कटे चौरासी शंकर काशी के बासी। शंकर….. मस्तक पे चंद्र बिराजे दर्शन से पातक भाजे, श्री नीलकंठ भगवन नाम अविनाशी। शंकर….. तेरी जटा में गंगा की धारा काटे पाप जगत का सारा हो सुमिरन से कल्याण कटे यम फांसी। शंकर….. जब पिले भांग का प्याला फिर
टेर : लेके गौरा जी को साथ भोले भाले भोले नाथ, काशी नगरी से आया है शिवशंकर। नंदी पर सवार होके, डमरू बजाते, चले आ रहे है, भोले माया रचाते, पहरे नर मुंडो की माल, पहरे ऊपर से मृग छाल। काशी नगरी….. हाथ में त्रिशूल लिये, भस्मी रमाये, झोली गले में डालें, गोकुल में आये,
शिव है शक्ति, शिव है भक्ति, शिव है मुक्ति धाम। शिव है ब्रह्मा, शिव है विष्णु, शिव है मेरा राम॥ ऐसी सुबह ना आए, आए ना ऐसी शाम। जिस दिन जुबा पे मेरी, आए ना शिव का नाम॥ मन मंदिर में वास है तेरा, तेरी छवि बसाई। प्यासी आत्मा बनके जोगन, तेरी शरण में आई।