Tujse Araj Bholenath Humari यह शिव भजन एक भक्त की भोलेनाथ से प्रार्थना है, जिसमें वह जन्म और मरण के चक्र से मुक्ति की अरज कर रहा है। भजन में जीवन के दुखों और भ्रमित माया से मुक्ति की प्रार्थना की गई है। भक्त शिवजी से यह निवेदन कर रहा है कि वे उसे संसारिक
दोहा : विश्वेशं माधवं धुण्डिं दण्डपाणिं च भैरवम। वन्दे काशीं गुहां गङ्गां भवानीं मणिकर्णिकाम। BUM BUM BOL RAHA HAI KASHI हर हर महादेव – 2 झूम रहे है पावन गूंज को, सुनके पृथ्वीवासी। बम-बम बोल रहा है काशी -2 विशवनाथ का डमरू बाजे, नाचे मस्त सन्यासी। बम-बम बोल रहा है काशी -2 यंहा किसी के
कितना रोकु मन्न के सोर को, ये कहाँ रुकता है। इस सोर से परे उस मौन से मिलना है। मुझे शिव से भी नही शिव में मिलना है॥ (मुझे शिव से नही शिव में मिलना है) अपने अहम् की अहुति दे जलना है। (अपने अहम् की अहुति दे जलना है) मुझे शिव से नही शिव
श्री महावीर् अमर संकीर्तन मंडल शहर के प्राचीनतम भजन मंडलों में से एक है जिसकी प्रथम कार्यकारिणी का गठन वर्ष 1952 में किया गया था। तब से यह मंडल श्री राम नाम के जाप, बालाजी महाराज के प्रचार में लगा हुआ है इसके साथ-साथ धार्मिक अनुष्ठानों और सामाजिक कार्यों में इसका सराहनीय योगदान रहा है।
आ… आ… ओ शंकर मेरे, कब होंगे दर्शन तेरे (ओ शंकर मेरे कब होंगे दर्शन तेरे) जीवन पथ पर शाम सवेरे (जीवन पथ पर शाम सवेरे) छाए हैं घनघोर अँधेरे ओ शंकर मेरे, कब होंगे दर्शन तेरे… मैं मूरख तू अंतर्यामी…x2 मैं सेवक तू मेरा स्वामी (मैं सेवक तू मेरा स्वामी) काहे मुझसे नाता तोड़ा
नमामि आदि शंकरम् नमाम्यहं महेश्वरम् डमा डमा नमाम्यहं श्री अमरनाथ ईश्वरम्.. हिमानी शिव नमाम्यहं बर्फानी शिव शंकरम्… है आप क्यों अजर अमर जब गूंजे ये उमा के स्वर निकल पडे उमा के नाथ बताने वो गुफा अमर.. (है आप क्यों अजर अमर जब गूंजे ये उमा के स्वर निकल पडे उमा के नाथ बताने वो
शिव समा रहे मुझ में, और मैं शून्य हो रहा हूँ। शिव समा रहे मुझ में, और मैं शून्य हो रहा हूँ। क्रोध को लोभ को-२ मैं भस्म कर रहा हूँ, शिव समा रहे मुझ में, और मैं शून्य हो रहा हूँ। ॐ नमः शिवाय, शिव समा रहे मुझ में, और मैं शून्य हो रहा
॥या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ हे महाकाली दुर्गे काली, महाकाल की महाकाली। हे महाकाली दुर्गे काली, महाकाल की महाकाली… हे महाकाली दुर्गे काली, महाकाल की महाकाली। हे महाकाली दुर्गे काली, महाकाल की महाकाली… एक चोटी पे हैं बैठे, श्री खंड महादेव। एक चोटी पे हैं बैठी, मेरी भी महाकाली…
बम बम भोला, बम बम भोला, कह साधु कह गए कबीरा। क्या तेरा क्या मेरा कबीरा, सारा ये खेल है तकदीरों का, क्या तूने ले जाणा, सब यहीं रह जाणा, गंगा किनारे चल जाणा, मिटटी है मूरत, जींद है निमाणी, गंगा किनारे चल जाणा, मुड़ के फिर नहीं आना। ये जीवन तेरा लकड़ी का पुतला-२