आज शनिवार है शनि जी का वार है, इक बार जो दर्शन करले उसका बेडा पार है। शनि के मंदिर आके जो इस तेल चढ़ाता है, किरपा करते है शनि देवा मन चाहा फल पाता है, सच्चा दरबार है होती जय जय कार है, इक बार जो दर्शन करले उसका बेडा पार है। त्रिलोकी में
क्षमा करो, क्षमा करो, (क्षमा करो, क्षमा करो) मेरी भूल हुई शनि देवा (मेरी भूल हुई शनि देवा) हम आये तेरे द्वार, हम तेरी करे पुकार, प्रभु तन मन से तेरी सेवा, मेरी भूल हुई शनि देवा। (क्षमा करो, क्षमा करो) जीवन रथ का तूही सारथि, जन्म जन्म हो तेरी आरती। (जीवन रथ का तूही
कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं, बाद अमृत पिलाने से क्या फायदा कभी गिरते हुए को उठाया नहीं, बाद आंसू बहाने से क्या फायदा कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं, बाद अमृत पिलाने से क्या फायदा मै तो मंदिर गया, पूजा-आरती की, पूजा करते हुए ये ख्याल आ गया – 2 कभी माँ बाप की
जो बोयेगा वही पायेगा तेरा किया आगे जाएगा सुख-दुःख है क्या फल कर्मों का जैसी करनी वैसी भरनी जो बोयेगा वही पायेगा सबसे बड़ी पूजा है माता पिता की सेवा किस्मत वालों को ही मिलता है ये मौक़ा हाथ से अपने खो मत देना मौक़ा ये खिदमत का जन्नत का दर खुल जाएगा तेरा किया