Category: अन्य भजन

चामुण्डा देवी चालीसा – नीलवरण मा कालिका रहती सदा प्रचंड।

॥दोहा॥ नीलवरण मा कालिका रहती सदा प्रचंड। दस हाथो मई ससत्रा धार देती दुस्त को दांड्ड़॥ मधु केटभ संहार कर करी धर्म की जीत। मेरी भी बढ़ा हरो हो जो कर्म पुनीत॥ ॥चौपाई॥ नमस्कार चामुंडा माता। तीनो लोक मई मई विख्याता॥ हिमाल्या मई पवितरा धाम है। महाशक्ति तुमको प्रडम है॥1॥ मार्कंडिए ऋषि ने धीयया। कैसे

पार्वती जी चालीसा – जय गिरी तनये डग्यगे शम्भू प्रिये गुणखानी।

॥दोहा॥ जय गिरी तनये डग्यगे शम्भू प्रिये गुणखानी। गणपति जननी पार्वती अम्बे! शक्ति! भवामिनी॥ ॥चालीसा॥ ब्रह्मा भेद न तुम्हरे पावे, पांच बदन नित तुमको ध्यावे। शशतमुखकाही न सकतयाष तेरो, सहसबदन श्रम करात घनेरो॥1॥ तेरो पार न पाबत माता, स्थित रक्षा ले हिट सजाता। आधार प्रबाल सद्रसिह अरुणारेय, अति कमनीय नयन कजरारे॥2॥ ललित लालट विलेपित केशर

श्री सरस्वती चालीसा – जनक जननि पद्मरज, निज मस्तक पर धरि।

॥दोहा॥ जनक जननि पद्मरज, निज मस्तक पर धरि। बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि॥ पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा अमित अनंतु। दुष्जनों के पाप को, मातु तु ही अब हन्तु॥ ॥चालीसा॥ जय श्री सकल बुद्धि बलरासी। जय सर्वज्ञ अमर अविनाशी॥ जय जय जय वीणाकर धारी। करती सदा सुहंस सवारी॥1॥ रूप चतुर्भुज धारी माता।

श्री लक्ष्मी चालीसा – मातु लक्ष्मी करि कृपा, करो हृदय में वास।

॥दोहा॥ मातु लक्ष्मी करि कृपा, करो हृदय में वास। मनोकामना सिद्घ करि, परुवहु मेरी आस॥ ॥ सोरठा॥ यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करुं। सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥ ॥चौपाई॥ सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही। ज्ञान बुद्घि विघा दो मोही॥ तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरवहु आस हमारी॥ जय जय जगत

श्री साँई चालीसा – श्री साँई के चरणों में, अपना शीश नवाऊं मैं,

श्री साँई के चरणों में, अपना शीश नवाऊं मैं, कैसे शिरडी साँई आए, सारा हाल सुनाऊ मैं कौन है माता, पिता कौन है, यह न किसी ने भी जाना। कहां जन्म साँई ने धारा, प्रश्न पहेली रहा बना कोई कहे अयोध्या के, ये रामचन्द्र भगवान हैं। कोई कहता साँई बाबा, पवन-पुत्र हनुमान हैं कोई कहता

विष्णु जी चालीसा – विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय।

॥दोहा॥ विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय। कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय॥ ॥चौपाई॥ नमो विष्णु भगवान खरारी,कष्ट नशावन अखिल बिहारी। प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी,त्रिभुवन फैल रही उजियारी॥1॥ सुन्दर रूप मनोहर सूरत,सरल स्वभाव मोहनी मूरत। तन पर पीताम्बर अति सोहत,बैजन्ती माला मन मोहत॥2॥ शंख चक्र कर गदा बिराजे,देखत दैत्य असुर दल भाजे। सत्य

सूर्य चालीसा – कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग

॥दोहा॥ कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग, पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के सङ्ग॥ ॥चौपाई॥ जय सविता जय जयति दिवाकर!, सहस्त्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥n भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!, सविता हंस! सुनूर विभाकर॥1॥ विवस्वान! आदित्य! विकर्तन, मार्तण्ड हरिरूप विरोचन॥ अम्बरमणि! खग! रवि कहलाते, वेद हिरण्यगर्भ कह गाते॥2॥ सहस्त्रांशु प्रद्योतन, कहिकहि, मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि॥ अरुण सदृश

श्री शनि चालीसा – जय गणेश गिरिजा सुवन,

॥दोहा॥ जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल। दीनन के दुःख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥ जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज। करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज॥ ॥चौपाई॥ जयति जयति शनिदेव दयाला। करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥ चारि भुजा, तनु श्याम विराजै। माथे रतन मुकुट छवि छाजै॥ परम विशाल मनोहर

जय जय हे शनि राज देवVerified Lyrics 

जय जय हे शनि राज देव तेरी जय जय कार, तू ही मेरी सुख शांति है तू ही मेरा आधार। जय जय हे शनि राज देव, तेरी जय जय कार, तू ही मेरी सुख शांति है तू ही मेरा आधार। जय जय हे शनि राज देव तेरी जय जयकार-२ जय जय हे शनि राज देव

भला किसी का कर ना सको तो, बुरा किसी का ना करना।Verified 

भला किसी का कर ना सको तो, बुरा किसी का ना करना। पुष्प नहीं बन सकते तो तुम, कांटे बन कर मत रहना॥ बन ना सको भगवान् अगर, कम से कम इंसान बनो। नहीं कभी शैतान बनो, नहीं कभी हैवान बनो॥ सदाचार अपना न सको तो, पापों में पग ना धरना। पुष्प नहीं बन सकते