मन तड़पत हरि दर्शन को आज मोरे तुम बिन बिगड़े सकल काज विनती करत हूँ रखियो लाज ॥ मन तड़पत हरि…॥ तुम्हरे द्वार का मैं हूँ जोगी हमरी ओर नज़र कब होगी सुन मोरे व्याकुल मन का बात ॥ मन तड़पत हरि…॥ बिन गुरू ज्ञान कहाँ से पाऊँ दीजो दान हरी गुन गाऊँ सब गुनी
श्रीमन नारायण नारायण हरि हरि॥ तेरी लीला सबसे न्यारी न्यारी हरि हरि ॥ भज मन नारायण नारायण हरि हरि जय जय नारायण नारायण हरि हरि श्री मन नारायण नारायण हरि हरि हरि ॐ नमो नारायणा, ॐ नमो नारायणा, हरि ॐ नमो नारायणा, हरि ॐ नमो नारायणा ॥ लक्ष्मी नारायण नारायण हरि हरि, बोलो नारायण नारायण
अवतार हो गया रे अवतार हो गया, गोकुल में श्री कृष्ण का अवतार हो गया॥ कोई लाया कुर्ता टोपी कोई लाया झबला, पीला पितांबर कान्हा को भा गया, गोकुल में श्री कृष्ण का अवतार हो गया। अवतार हो गया रे अवतार हो गया, गोकुल में श्री कृष्ण का अवतार हो गया॥ कोई लाया गेंद बल्ला
बांके बिहारी की देख छटा, मेरो मन है गयो लटा पटा। कब से खोजूं बनवारी को, बनवारी को, गिरिधारी को। कोई बता दे उसका पता, मेरो मन है गयो लटा पटा॥ मोर मुकुट श्यामल तन धारी, कर मुरली अधरन सजी प्यारी। कमर में बांदे पीला पटा, मेरो मन है गयो लटा पटा॥ पनिया भरन यमुना
कृष्ण – राधिका गौरी से बृज की छोरी से मैया कराय दे मेरो ब्याह यशोदा – उम्र तेरी छोटी है नजर तेरी खोटी है कैसे करा दूँ तेरा ब्याह – राधिका गौरी से कृष्ण – जो नहीं ब्याह करावे, तेरी गैया न चारो आज के बाद मोरी मैया, तेरी देहली पर ना आऊँ आयेगा रे
तेरी यमुना दा मीठा मीठा पानी मटकियाँ भर लेन दे – तेरी यमुना मैं तो जब यमुना तट पर आई आगे मिल गए कृष्ण कन्हाई मेरी, एक बात ना मानी – मटकियाँ भर लेन दे… अर्ज करी दोनों कर जोरि फिर भी उसने बांह मरोरि फिर खूब हुई खैंचताणि – मटकियाँ भर… करके बहाना पानी
सरवरीये री पाल खड़ी या, नानी नीर बहावे है, माँ के जाये बीर बिना कुण-2, भात भरण ने आवे है।। 1. एक दिन म्हारो भोळो बाबुल, अरबपति कहलायो थो, अन धन रा भण्डार घणेरा ओर छोर नहीं पायो थो। ऊँचा ऊँचा महल मालिया, नगर सेठ कहलायो थो, अणगिणती का नोकर चाकर, याद म्हने सब आवे
कृष्ण जिनका नाम है, गोकुल जिनका धाम है, ऎसे श्री भगवान को, बारंबार प्रणाम है-२ कृष्ण जिनका नाम है, गोकुल जिनका धाम है, ऎसे श्री भगवान को-२ बारंबार प्रणाम है-२ यशोदा जिनकी मैया है, नंद जी बापैया है, ऎसे श्री गोपाल को-२ बारंबार प्रणाम है। लूट-लूट दधि माखन खायो, ग्वाल-बाल संग धेनु चरायो, ऎसे लीला-धाम
बीत गये दिन भजन बिना रे। भजन बिना रे, भजन बिना रे॥ बाल अवस्था खेल गवांयो। जब यौवन तब मान घना रे॥ बीत गये दिन भजन बिना रे। भजन बिना रे, भजन बिना रे॥ लाहे कारण मूल गवाँयो। अजहुं न गयी मन की तृष्णा रे॥ बीत गये दिन भजन बिना रे। भजन बिना रे, भजन
हरी दर्शन की प्यासी, अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी, देखयो चाहत कमाल नयन को, निसदीन रहेत उदासी, अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी। केसर तिलक मोतिन की माला, वृंदावन के वासी, नेह लगाए त्याग गये त्रिन्सम, डाल गये गल फाँसी, अखियाँ हरी दर्शन की प्यासी। काहु के मन की को जानत, लोगन के मन हासी, सूरदास