टेर : मेरी विनती सुनो हनुमान ,धरु में तेरा ध्यान ,पवन का प्यारा ,अंजना के लाल दुलारा। सिर मुकुट गले फूल माला ,श्रीलाल लंगोटे वाला ,तेरे कानो में कुण्डल, झलके चाँद उजियारा। अंजना ….. शिव शंकर के अवतारी, श्री राम के आज्ञाकारी ,हे पवन पुत्र बलवान, तेज अति भारा,अंजना …. लक्ष्मण के प्राण बचाये ,अहिरावण
टेर : सिया राम के काज सँवारे अंजना के लाल दुलारे। रावण ने हड़ी सिया माता ढूँढे राम लखन दोउ भ्राता, बन बन ढ़ूंढ़त दोउ हारे, तब आ गए पवन दुलारे।।1।। सिया माता के सुधल्याये, कपियन के प्राण बचाये, फल खाये और बाग उजाड़े, श्रीराम के पास पधारे।।2।। मूर्छित पड़े लछमन भाई, सरजीवन लाये पिलाई,
टेर : अगर तुझे भय भूत सतावे, तो बालाजी का शरणा है, पुन्यु मंगल शनिवार को, धुप धयान भी करणा है। रोग का नाश करे बालाजी पीड़ा सबकी हरते है, जो कोई पूजा पाठ करे तो आनंद मंगल करते है, मंगल करे अमंगल टारे महावीर बल कर्णा है। बालाजी बलवान है भाई बज्र अंग के
दोहा : वर दीजो हनुमान अब ,किरपा करो हे नाथ ,राम राम रटता रहू, हो भक्तो का साथ। टेर : हमें राम का दर्श करादो जी, हे अंजलि का लाल। था तुलसीदास दास बड़ा भागी, जाके राम लखन हिये लागी ,तेरी कृपा से किस्मत जागी जी
दोहा : शरण शरण मैं आपकी, महावीर हनुमान, शरण पड़े को आन उबारों, पवन पुत्र बलवान। टेर : ओ महावीर बजरंगी, मैं आया शरण तिहारी। शरण तिहारी मैं आया हूँ, संग में संकट लाया हूँ, अनजाने में फिरा भटकता, पहले बहुत दुःख पाया हूँ, अब संकट हर ले मेरा, ओ संकट मेटन हारी । ओ
जय जय कपि नायक जन, सुखदायक महावीर बलवाना, जय संकट मोचन भव भय मोचन, मंगल भवन सुजाना ।।1।। जय जय दुःख हारक जन उपकारक, परमानन्द निधाना, जय जय अविनाशी आनंद राशि, पवन तनय हनुमाना ।।2।। जय परम कृपाला नयन विशाला, सुर नर मुनि हितकारी, जय सब गुण सागर दीन-दयाकर, पापन के अघहारी ।।3।। जय अधत
अरे लंका वालो दशानन से कहदो, के हनुमान लंका जला के चला है॥ चुराते हो सीता मैया को छल से, समझ लोबुराई अपनी बाला है। अरे लंका वालो दशानन से कहदो, के हनुमान लंका जला के चला है॥ उजाड़े है मैंने ये बाग़ सारे, संभल जाओ वरना जाओगे मारे, गदा से गिराये दानव हजारो। राम
जिस पर हो हनुमान की कृपा, तकदीर का धनी वो नर है, रखवाला हो मारुती नंदन, फिर किस बात का डर है, भजन पवन सुत का कीजिये, नाम अमृत का प्याला पीजिये, शीश मुकुट, कान में कुण्डल लाल सिन्दूर सी काया, लाल लंगोटे वाला हनुमंत, माँ अंजनी का जाया, नाश करे दुष्टों का, भक्तों का
आसरो बालाजी म्हने थारो, थे कष्ट निवारो -2 पधारो म्हारे आंगणिये पधारो थारी मैं बुलावा जय जय कार…… सालासर में सज्यो है दरबार अंजनी का लाला दुखियारा दातार थाने जो धेयावे करोथे बेडा पार काटजो घणो यो दुःख म्हारो, थे कष्ट निवारो… पधारो म्हारे आंगणिये पधारो थारी मैं बुलावा जय जय कार॥ सारया हो थे
बजरंग बलि मेरे दाता तेरे द्वार पे जो भी आता उसकी नैया फिर तू ही संभाले भव सागर से पार लगाता बजरंग बलि मेरे दाता तेरे द्वार पे जो भी आता कहलाता है अंजनी पुत्र तू अमंगल को मंगल करता है भुत प्रेत फिर निकट ना आवे नाम तेरा जो गाता है बजरंग बलि मेरे