ओ भगवान को भजने वाले धर ले मन में ध्यान, भाव बिनु मिले नहीं भगवान, दुर्योधन की छोड़ी मेवा विदुरानी की भा गयी सेवा श्रध्हा और समर्पण से ही रीझै है भगवान भाव बिनु मिले नहीं भगवान … ||1|| झूठे फल शबरी के खाए राम ने रूचि रूचि भोग लगाए जो ढूंढे उसको मिल जाये
जरा ये तो बता घाटे वाले तेरा जलवा कहाँ पर नहीं है नजरो में है तेरा नजारा तेरा रुतबा भी कुछ कम नहीं है जरा ये तो बता घाटे वाले…. आँख वालों ने है तुमको देखा कान वालों ने तुमको सुना है तेरा जलवा उसी ने है देखा जिनकी आँखों पे परदा नहीं है जरा
सात समंदर लांघ के हनुमत लंकानगरी आ गए हनुमत लंकानगरी आ गए। ऐसा किया कमाल देखकर लंकावासी डर गए, सात समंदर लांघ के हनुमत लंकानगरी आ गए। लंकापुर पहुंचे हनुमत जी, किया प्रभु का ध्यान, मात सिया को खोजे पवनसुत लंका में अनजान, असुरों संग बैठी मेरी माँ ये देख क्रोध में आ गए सात
हो लगी भवन में भीड़, बालाजी संकट काटो न, हो बाबा, लगी भवन में भीड़, बालाजी संकट काटो न, सुणी होळी पे संकट काटो, सब भक्तां के साटे साटों, मेरे भी दिल ने डाटों (रोको) ने, हो लगी भवन में भीड़, बालाजी संकट काटो न, हो बाबा लगी भवन में भीड़, बालाजी संकट काटो न।
तेरे चरणों में मैं आ गया, हनुमंता करदो दया, तेरे चरणों में मैं आ गया, घबराये मेरा जिया, तेरे चरणों में मैं आ गया, आ गया आ गया तेरे चरणों में मैं आ गया॥ हर पल तुझको मैं याद करता हूँ कोई नाम आता नही। तुम्हारे ही दर से फिर भी मेरे सर से कोई
अंजनी का लाला बड़ा मतवाला, हवा में उड़ता जाये रे मेरा राम दुलारा॥ एक दिन देखा मैंने अवधपुरी में, अवधपुरी में रामा अवधपुरी में, राम की लगन लगायी रे मेरा राम दुलारा, हवा में उड़ता जाये मेरा राम दुलारा॥ एक दिन देखा मैंने सुमिरो पर्वत पे, सुमिरो पर्वत पे रामा सुमिरो पर्वत पे, संजीवन बूटी
बालाजी यो होया रोग पुराना हो, मेहंदीपुर ने छोड़ दियां आज सोनीपत राणा हो। तेरी बेटी पे संकट आया, अरे रखो जाके कुन बांस आया, ऊपर से दुःख न्यारा छूट गया पीना खाना, बालाजी यो होया रोग पुराना हो। कड़े लाडू काढ़े बर्फी ख्वाउ, लाया लाया थक गया पति कमाऊ, और के बाबा तने बताओ
मेरे मन बस गया है यो अंजनी का हनुमान। अंजनी माँ का राज दुलारा, पवन पिता का पुत्र प्यारा, म्हारा से भगवान। मेरे मन बस गया है यो अंजनी का हनुमान लाल लंगोटा हाथ में सोटा, यो मोटा से साहूकार। मेरे मन बस गया है यो अंजनी का हनुमान मंगल का दिन शुभ का हो
मैं के बोलूं बालाजी, तने सब बातां का बेरा स, पिछले साल घणे तारे, पर इब के नम्बर मेरा स॥ मेरे अगर पडोसी सारे, तने उनका काम बनाया स, किसी ने काठ ली कोठी, किसी ने महल बनाया स, तन्ने यो के हाल बनाया मेरा, दो कमरा का डेरा स, पिछले साल घणे तारे, पर
दिनबंधु दीनानाथ मेरी सुध लीजिए, दीनो के दयाल दाता मोपे दया कीजिए। खेती नाहीं बाड़ी नाहीं, बीणज व्यापार नाहीं, एसों कोई सेठ नाहीं, जाँ से कछु लीजिए दीनो के दयाल दाता….|1| भाई नाहीं बन्धु नाहीं, कूटुंब कबीलो नाहीं, एसों कोई मित्र नाहीं, जाँ से कच्छु लिजये दीनो के दयाल दाता….|2| सोने को सुनैयो नाहीं, रूपै