Author: Vijender Singh

बड़ा है दयालु भोलेनाथ डमरू वाला।

बड़ा है दयालु भोले नाथ डमरू वाला, श्लोक – शिव समान दाता नहीं, विपत निवारण हार, लज्जा सबकी राखियो, ओ नंदी के असवार। बड़ा है दयालु भोले नाथ डमरू वाला, जिनके गले में विषधर काला, नीलकंठ वाला,  भोले नाथ डमरू वाला, बड़ा है दयालू भोले नाथ डमरू वाला। ◾️बैठे पर्वत धुनि रमाये, बदन पड़ी मृगछाला

भोले मेरी नैया को भव पार लगा देना।

भोले मेरी नैया को भाव पार लगा देना, श्लोक – भोले में तेरे दर पे, कुछ आस लिए आया हूँ , तेरे दर्शन की मन में, एक प्यास लिए आया हूँ , अब छोड़ दिया जग सारा, सब तोड़ दिए रिश्ते, विश्वास है भक्ति का, मन में विश्वास लिए आया हूँ। भोले मेरी नैया को

भोला भंडारी आया मोहन तेरी गली में।

भोला भंडारी आया मोहन तेरी गली में श्लोक है खुशियों की भरमार ब्रिज की गलियों में,  नाचे गाए है हर इंसान ब्रिज की गलियो में, आए शंकर जी भगवन ब्रिज की गलियो में, करने कान्हा का दीदार ब्रिज की गलियो में। भोला भंडारी आया मोहन तेरी गली में -२ मोहन तेरी गली में कान्हा तेरी

​क्या खिलाया जाये बोल भोलेनाथ तुझे क्या भोग लगाया जाए।

क्या खिलाया जाये, तुझे क्या पिलाया जाए, बोल भोलेनाथ तुझे, क्या भोग लगाया जाए।। ◾️आप खुश हो जाये, मै वो ही मंगवा दु, अक धतुरे कि बूटी बोलो पिसवा दु, बोलो भोलेजी बोलो, जरा अंखिया तो खोलो, भांग घुटवा दु, किशमिश डाली जाये, बादाम मिलाया जाये, बोल भोलेनाथ तुझे, क्या भोग लगाया जाए।। ◾️बर्फी रबड़ी

हे शम्भू बाबा मेरे भोले नाथ।

हे शम्भू बाबा मेरे भोले नाथ भजन लिरिक्स श्लोक – शिव नाम से है, जगत में उजाला। हरी भक्तो के है, मन में शिवाला॥ ◾️हे शम्भू बाबा मेरे भोले नाथ, तीनो लोक में तू ही तू। श्रधा सुमन मेरा, मन बेल-पतरी, जीवन भी अर्पण कर दूँ, हे शम्भु बाबा मेरे भोले नाथ॥ ◾️जग का स्वामी है

एक दिन वो भोला भंडारी बनकर सुन्दर नारी।

एक दिन वो भोला भंडारी, बनकर सुन्दर नारी, गोकुल में आ गए हैं। पार्वती ने मना किया तो, ना माने त्रिपुरारी, बिरज में आ गए हैं।। ◾️पार्वती से बोले भोले, मैं भी चलूँगा तेरे संग मैं, राधा संग श्याम नाचे, मैं भी नाचूँगा तेरे संग में, रास रचेगा ब्रज मैं भारी, मुझे दिखाओ प्यारी, बिरज

काल क्या करेगा महाकाल के आगे।

काल क्या करेगा महाकाल के आगे, कर लूंगा दो दो बात मै उस काल के आगे वो काल क्या करेगा महाकाल के आगे।। ◾️रुतबा है भोलेनाथ का देवो के है अफ़सर, बेठे है समाधी मे वो गौरा के है हर हर, चम चम चमकता चन्द्रमा शिव ढाल के आगे, फ़िके पडे सब हार मुंडमाल के

अजब है तेरी माया इसे कोई समझ ना पाया।

​ऊँचे ऊँचे मंदिर तेरे, ऊँचा तेरा धाम, हे कैलाश के वासी भोले, हम करते है तुझे प्रणाम। अजब है तेरी माया,इसे कोई समझ ना पाया, गजब का खेल रचाया,सबसे बढ़ा है तेरा नाम, भोलेनाथ भोलेनाथ भोलेनाथ ॥॥ ◾️अद्भुत है संसार यहाँ पर कई भूलेखे है, तरह तरह के खेल जगत मे हमने देखे है, तू है

नगर में जोगी आया यशोदा के घर आया।

​नगर मे जोगी आया, भेद कोई समझ ना पाया। ​श्लोक – ऊँचे ऊँचे मंदिर तेरे, ऊँचा है तेरा धाम, हे कैलाश के वासी भोले, हम करते है तुझे प्रणाम। ◾️नगर मे जोगी आया, भेद कोई समझ ना पाया, अजब है तेरी माया, इसे कोई समझ ना पाया, यशोदा के घर आया, सबसे बढ़ा है तेरा

कब लोगे खबर भोलेनाथ बड़ी देर भई।

कब लोगे खबर भोलेनाथ बड़ी देर भयी बड़ी देर भयी, कब लोगे खबर भोलेनाथ, चलते चलते मेरे पग हारे, कब लोगे खबर भोलेनाथ॥ ◾️आया हूँ में भी द्वार तुम्हारे, अपनी झोली आज पसारे, खाली जाऊँ भला मै केसे, तेरेदर से हे भोलेनाथ, बड़ी देर भयी बड़ी देर भयी॥ ◾️अंजाना हूँ राह दिखा दो, अब तो