जग में सुन्दर है दो नाम, चाहे कृष्ण कहो या राम बोलो राम राम राम, बोलो श्याम श्याम श्याम जग में सुन्दर है दो नाम, चाहे कृष्ण कहो या राम बोलो राम राम राम, बोलो श्याम श्याम श्याम माखन ब्रज में एक चुरावे, एक बेर भीलनी के खावे प्रेम भाव से भरे अनोखे, दोनों के
जय जय देवी, जय जगजननी, जय जय सरस्वती, माई(2) जय जय भवानी, जय शरबानी, जय त्रिभुवन सुखदाई(2) तेरी माया अनंता अपार, जाको को नहीं पारी जय जय देवी, जय जगजननी, जय जय सरस्वती… हस्तकमल मो वीणा बजावे, जा में सब सुर गायी दूजे हाथ विराजत पुस्तक, वेद श्रुति उपजाई जय जय देवी, जय जगजननी, जय
आ माँ आ तुझे दिल ने पुकारा। दिल ने पुकारा तू है मेरा सहारा माँ॥ शेरां वाली, जोतां वाली, मेहरां वाली माँ। आ माँ आ तुझे दिल ने पुकारा॥ प्रेम से बोलो, जय माता दी। सारे बोलो, जय माता दी। मिल के बोलो, जय माता दी। फिर से बोलो, जय माता दी। मैंने मन से
तेरी पनाह में हमे रखना, सीखें हम नेक राह पर चलना, तेरी पनाह में हमे रखना, सीखें हम नेक राह पर चलना। कपट करम चोरी बेईमानी, और हिंसा से हमको बचाने नाली का बन जाऊँ ना पानी, निर्मल गंगाजल ही बनाना, अपनी निग़ाह में हमे रखना, तेरी पनाह में… क्षमावान कोई तुझसा नहीं, और मुझसा
कर्ता करे ना कर सके, पर गुरु किए सब होये, सात द्वीप नौ खंड मे, मेरे गुरु से बड़ा ना कोए॥ सांवरे को दिल में बसा के तो देखो, दुनिया से मन को हटा के देखो, बड़ा ही दयालु है बांके बिहारी, इक बार वृन्दावन आ करके तो देखो॥ बांके बिहारी भक्तों के दिलदार, सदा
तुने मुझे बुलाया शेरा वालिये, मैं आया मैं आया शेरा वालिये।।2।। ज्योता वालिये, पहाड़ा वालिये, मेहरा वालिये…….. तुने मुझे बुलाया शेरा वालिये, मैं आया मैं आया शेरा वालिये।।2।। सारा जग है इक बंजारा..।।2।। सब की मंजिल तेरा द्वारा। ऊँचे पर्वत लम्बा रास्ता..।।2।। पर मैं रह ना पाया, शेरा वालिये….. तुने मुझे बुलाया शेरा वालिये, मैं
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेवा॥ हे नाथ नारायण… पितु मात स्वामी, सखा हमारे, हे नाथ नारायण वासुदेवा॥ हे नाथ नारायण… श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी… बंदी गृह के, तुम अवतारी, कही जन्मे, कही पले मुरारी, किसी के जाये, किसी के कहाये, है अद्भुद, हर बात तिहारी॥ (है अद्भुद, हर बात तिहारी)
सजा दो घर को गुलशन सा, अवध में राम आए हैं, अवध मे राम आए है, मेरे सरकार आए हैं, लगे कुटिया भी दुल्हन सी, अवध मे राम आए हैं, सजा दो घर को… पखारों इनके चरणों को, बहा कर प्रेम की गंगा, बिछा दो अपनी पलकों को, अवध मे राम आए हैं, सजा दो
सुबह शाम आठो याम यहीं नाम लिए जा, खुश होंगे हनुमान राम राम किए जा। लिखा था राम नाम वो, पत्थर भी तर गए, किए राम से जो बैर, जीते जी वो मर गए, बस नाम का रसपान, ए इंसान किए जा। खुश होंगे हनुमान राम राम किए जा। राम नाम की धुन पे नाचे
न मैं मांगू सोना न मैं मांगू चाँदी, जीवन सदा सफल हो मेरा ऐसा वर दो दाती। न मैं मांगू सोना न मैं मांगू चाँदी, ये पाऊ मैं ये भी पाऊ और वो भी मिल जाये, लोभी मन की तृष्णा तो मिटे न लाख मिटाये। लोभ मोह से इस दुनिया में कोई नहीं बच पाया