आज बृज में होरी रे रसिया। होरी रे रसिया, बरजोरी रे रसिया॥ अपने अपने महलों से निकली, कोई श्यामल कोई गोरी रे रसिया। कौन गाँव के कुंवर कन्हैया, कौन गाँव राधा गोरी रे रसिया। नन्द गाँव के कुंवर कन्हैया, बरसाने की राधा गोरी रे रसिया। कौन वरण के कुंवर कन्हैया, कौन वरण राधा गोरी रे
तेरे तन पे सिंदूरी चोला तेरे तन पे – २ सिन्दूरी चोला के बाबा लगे बड़ा प्यार प्यारा। के मैंने ले लिया तेरा सहारा हो हो…. तेरे सिर पर मुकुट विराजे कानों में कुण्डल साजे। क्या कहूँ छवि तेरी प्यारी, तेरे घट में राम विराजे। तेरी जगमग जोत जले है दर्शन पर पाप कटे है
मुझे अपनी शरण में लेलो राम -२ लोचन मन में जगह न हो तो युगल चरण में लेलो राम, मुझे… जीवन देके जाल बिछाया रच के माया नाच नचाया चिंता मेरी तभी मिटेगी -२ जग चिंतन लेलो राम, मुझे… तुमने लाखों पापी तारे मेरी बरी बजी हारे मेरे पास न पुण्य की पूंजी -२ पद
बजरंग बाला जय हो बजरंग बाला, पाँव में घुंगरू बांध के नाचे, जपे राम की माला, बजरंग बाला जय हो बजरंग बाला।। सिया राम ही राम पुकारे, हनुमत जाए असुर सब मारे, सीता की सुध लेने खातिर, क्या से क्या कर डाला, बजरंग बाला जय हो बजरंग बाला। पाँव में घुंगरू बांध के नाचे, जपे
घोटे वाले मुझे बुला ले, कर अर्जी मंजूर दिखा दे रूप तेरा।।टेर।। सालासर में धाम तेरा, अजब निराली माया है। सुन्दर रूप अनूप तेरा, भक्तों को मन भाया है। भक्त गण आते भोग लगते, भीड़ रहे भरपुर।। दिखा दे रूप… अंग में चोला चाँदी का, गल में बैजंती माला है। मुकुट विराजे सोने का, लाल
सालासर के मंदिर में जाके देख ले खुल जायेंगे भाग, जरा आजमाके देख ले बोलो राम – बोलो राम – बोलो राम राम राम खुल जायेगे…. राजस्थान में गूंज रहा है सालसर को धाम जो भी शीष झुकावे तेरे, बनते उसके काम श्रद्धा की ज्योति उठा के, जगा के देख ले खुल जायेगे…. रामनाम का
दुनिया मे देव हजारो हैं, बजरंग बली का क्या कहना इनकी शक्ति का क्या कहना, इनकी भक्ति का क्या कहना दुनिया मे देव हजारो हैं, बजरंग बली का क्या कहना ये सात समुन्दर लांग गए और गढ़ लंका मे कूद गए रावन को डराना क्या कहना, लंका को जलाना क्या कहना दुनिया मे देव हजारो
कलयुग बैठा मार कुंडली, जाऊं तो मैं कहां जाऊं, अब हर घर में रावण बैठा, इतने राम कहां से लाऊं। दशरथ कौशल्या जैसे, मात पिता अब भी मिल जाये, पर राम सा पुत्र मिले ना, जो आज्ञा ले वन जाये, भरत लखन से भाई, ढूंढ कहाँ अब मैं लाऊँ, अब हर घर में रावण बैठा,
मुझे रास आ गया है, तेरे दर पे सर झुकाना तुझे मिल गया पुजारी, मुझे मिल गया ठिकाना मुझे इसका गम नहीं है, बदलेगा यूँ जमाना मेरी जिंदगी के मालिक, कहीं तुन बदल न जाना मुझे रास आ गया… तेरी बंदगी से पहले, मुझे कोण जनता था तेरी याद ने बना दी, मेरी जिंदगी फ़साना