तेरी छाया में तेरे चरणो में, मगन हो बैठु तेरे भक्तों में॥ तेरे दरबार में मैया ख़ुशी मिलती है-२ जिंदगी मिलती है रोतो को हसी मिलती है॥ तेरे दरबार में मैया ख़ुशी मिलती है-२ जिंदगी मिलती है रोतो को हसी मिलती है॥ एक अजब सी मस्ती तन मन पे छाती है-२ हर एक जुबां तेरे
मन तड़पत हरि दर्शन को आज मोरे तुम बिन बिगड़े सकल काज विनती करत हूँ रखियो लाज ॥ मन तड़पत हरि…॥ तुम्हरे द्वार का मैं हूँ जोगी हमरी ओर नज़र कब होगी सुन मोरे व्याकुल मन का बात ॥ मन तड़पत हरि…॥ बिन गुरू ज्ञान कहाँ से पाऊँ दीजो दान हरी गुन गाऊँ सब गुनी
प्रबल प्रेम के पाले पड़कर, प्रभु को नियम बदलते देखा। अपना मान भले टल जाये, भक्त मान नहीं टलते देखा। जिसकी केवल कृपा दृष्टि से, सकल विश्व को पलते देखा। उसको गोकुल में माखन पर, सौ-सौ बार मचलते देखा। जिसके चरण कमल कमला के, करतल से न निकलते देखा। उसको ब्रज की कुंज गलिन में,
चरण चाकरी देदो म्हाने चरण चाकरी देदो, चरना में पड़ो रहशु म्हणे इक ठिकाना देदो, थारे बिना म्हारो कौन है बाबा यु तो जी ही जानो, छोटी सी अर्जी बाबा म्हारो प्रेम पछानो, म्हारी युनि सफल बना दो म्हणे, चरण चाकरी देदो ……….. थाने जद जद याद करा मैं हिवड़ो भर भर आवे, हिवड़ो जद
अरे लंका वालो दशानन से कहदो, के हनुमान लंका जला के चला है॥ चुराते हो सीता मैया को छल से, समझ लोबुराई अपनी बाला है। अरे लंका वालो दशानन से कहदो, के हनुमान लंका जला के चला है॥ उजाड़े है मैंने ये बाग़ सारे, संभल जाओ वरना जाओगे मारे, गदा से गिराये दानव हजारो। राम
शिव है शक्ति, शिव है भक्ति, शिव है मुक्ति धाम। शिव है ब्रह्मा, शिव है विष्णु, शिव है मेरा राम॥ ऐसी सुबह ना आए, आए ना ऐसी शाम। जिस दिन जुबा पे मेरी, आए ना शिव का नाम॥ मन मंदिर में वास है तेरा, तेरी छवि बसाई। प्यासी आत्मा बनके जोगन, तेरी शरण में आई।
तेरे खेल निराले री माँ लाल चुंदडी आली माँ लाल चुंदडी आली, माँ लाल चुंदडी आली तेरे खेल निराले री माँ लाल चुंदडी आली तेरे खेल निराले री माँ लाल चुंदडी आली तू रह पर्वत के ऊपर -2 वो उसकी किस्मत सुपर, जो दर्शन पा ले री माँ लाल चुंदडी आली तेरे खेल निराले री
जिस पर हो हनुमान की कृपा, तकदीर का धनी वो नर है, रखवाला हो मारुती नंदन, फिर किस बात का डर है, भजन पवन सुत का कीजिये, नाम अमृत का प्याला पीजिये, शीश मुकुट, कान में कुण्डल लाल सिन्दूर सी काया, लाल लंगोटे वाला हनुमंत, माँ अंजनी का जाया, नाश करे दुष्टों का, भक्तों का
आसरो बालाजी म्हने थारो, थे कष्ट निवारो -2 पधारो म्हारे आंगणिये पधारो थारी मैं बुलावा जय जय कार…… सालासर में सज्यो है दरबार अंजनी का लाला दुखियारा दातार थाने जो धेयावे करोथे बेडा पार काटजो घणो यो दुःख म्हारो, थे कष्ट निवारो… पधारो म्हारे आंगणिये पधारो थारी मैं बुलावा जय जय कार॥ सारया हो थे