भोलेनाथ की दीवानी, गौरा रानी लागे गौरा रानी लागे। शिव संग में विराजी तो, महारानी लागे॥ नमः शिवाय महामंत्र से, भोले को मनाया। सुबह शाम आठों याम, शिवजी को ही ध्याया। गौरा मैया की ये लीला, तो सुहानी लागे, शिव संग में विराजी तो, महारानी लागे, भोलेनाथ की दीवानी, गौरा रानी लागे, शिव संग में
💠गौरी के नंदन की, हम पूजा करते है। हम पूजा करते है, हम वंदना करते है॥ गौरी के नंदन की, हम पूजा करते है॥ 💠 गौरी के नंदन की, हम पूजा करते है शुभ कारज से पहले, तेरा ध्यान जो धरते है। कोई संकट आए तो, तुम रक्षा करते हो। इस संकट हारे की, हम
रामा केहि विधि आऊं मैं पास तिहारे रामा केहि बिधि, रामा केहि बिधि बादर बन उड़ जाऊं अवध को बरसी बरसी पखारू चरण को मोर बनूँ उत नाच दिखाऊं रामा केहि बिधि आऊं मैं पास तिहारे बनूँ शिला जो तुम चरण छुआ दो बांस बन जाऊं तुम धनु ही बना लो काठ होय बनी जाऊं
लड्डू गोपाल मेरा, लड्डू गोपाल। छोटा सा है लला मेरा, करतब करे कमाल, सबसे पहले मुझे जगाओ, फिर गंगा जल से नहलाओ, नई नई पोशाक बनाओ, बदल बदल कर के पहनाओ. केसर चन्दन तिलक लगाओ, गल फूलो की माल, लड्डू गोपाल मेरा… सिर पे मोर मुकुट की पगड़ी, कमर बांध सोने की तगड़ी, नए नए
निकल न जाए हाथ से तेरे मौका ये अनमोल, जय माता दी बोल बंदे जय माता दी बोल | आके देख ले सजा दरबार अम्बे रानी का, सुख वरदानी का जग कल्याणी का, देती छप्पर फाड़ के मैया झोली ले तू खोल, जय माता दी बोल बंदे जय माता दी बोल| कौन जाने कब नसीबा
दाता नहीं है श्रीराम के जैसा, सेवक नहीं है हनुमान के जैसा, आंख उठा कर देखा जग में सारा जगत भिखारी, काम क्रोध मद लोह मोह में लिपटे सब नर नारी, पाप नहीं कोई अभिमान के जैसा, दाता नहीं है श्री राम के जैसा, पड़ कर देखो रामायण बस एक ही बात सिखाये, वो नर
अस्सी तेरे तेरे झंडेवाली माँ रखले गरीब जानके तेरे सिवा सड़ा होर न कोई, तेरे दर वाजो किते मिलदी न धोई, ऐसी नौकर तेरे झंडेवाली माँ रखले गरीब जानके, जद भी भुलावे दाती तेरे दर आवा, भगता दे नाल बह के गुण तेरे गावा, साहनु सेवा च लगा ले झण्डेवालिये रख ले गरीब जान के,
आज हरी आये, विदुर घर पावना॥ आज हरी आये, विदुर घर पावना॥ विदुर नहीं घर मैं विदुरानी ,आवत देख सारंग प्राणी । फूली अंग समावे न चिंता ॥ ,भोजन कंहा जिमावना ॥ केला बहुत प्रेम से लायीं, गिरी गिरी सब देत गिराई । छिलका देत श्याम मुख मांही ॥,लगे बहुत सुहावना, इतने में विदुरजी घर
भजन बिना तन राख की ढेरी, जीवन रैन अँधेरी-२ क्यों मुरख मन भटक रहा है, लोभ मोह में अटक रहा है, भूल रहा भागवत की महिमा, मति मारी है तेरी हाय… जीवन रैन अँधेरी। भजन बिना तन राख… नाम मिलाता हरि से प्यारे, ताम मिटाता सब अंधियारे, मौत को भी हरि भजन मिटाता, है चरनन