तुम रूठे रहो मोहन हम तुम्हे मना लेंगे, अहो मे असर होगा घर बेठे बुला लेंगे॥ तुम कहते है मोहन हमें मधुवन प्यारा है,॥ इक वार तो आ जाओ मघुवन ही बना देंगे॥ तुम रूठे रहो …… तुम कहते हो मोहन हमें माखन प्यारा है॥ इक बार तो आ जाओ माखन ही खिला देंगे॥ तुम
राम जी के नाम ने तो पत्थर भी तारे, जो न जपे राम नाम वो हैं किस्मत के मारे।। राम जी के नाम को शिवजी ने ध्याया, तुलसी ने राम जी से सरबस पाया, कविरा तो भजन कर कर भए मतवारे।। राम जी के नाम ने तो पत्थर भी तारे, राम नाम अमृत है राम
जागो बंसीवारे ललना जागो बंसीवारे ललना जागो मोरे प्यारे.. रजनी बीती भोर भयो है घर घर खुले किवाड़े, गोपी दही मथत सुनियत है कंगना की झनकारे.. उठो लालजी भोर भयो है सुर नर ठाड़े द्वारे . ग्वालबाल सब करत कोलाहल जय जय शब्द उचारे .. माखन रोटी हाथ में लीजे गौअन के रखवारे . मीरा
प्यारा प्यारा प्यारा, बाबा श्याम हमारा, भोला भाला मुखड़ा, चाँद सा सोणा है, महके हर दिल का, एक कोना कोना है, सौ सौ बार नैना इसे निहारे, फिर भी ये दिल ना भरे, प्यारा प्यारा प्यारा…. सिंगार तेरा क्या लग रहा है, जो भी तुझे देखे तेरा हो रहा है, जाने कहाँ हम आ गए
मेरी लगी, श्याम संग प्रीत, ये दुनिया क्या जाने, क्या जाने कोई क्या जाने। मुझे मिल गया, मन का मीत, ये दुनिया क्या जाने। मेरी लगी श्याम संग प्रीत, ये दुनिया क्या जाने। क्या जाने कोई क्या जाने। छवि लखि मैंने, श्याम की जब से, भई बावरी में तो तब से। बाँधी प्रेम की डोर
हे रोम रोम में बसने वाले राम, जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी, मैं तुझसे क्या मांगूं॥ आप का बंधन तोड़ चुकी हूं, तुझ पर सब कुछ छोड़ चुकी हूं। नाथ मेरे मैं, क्यूं कुछ सोचूं, तू जाने तेरा काम॥ जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी, मे तुझ से क्या मांगूं। हे रोम रोम मे बसने वाले
तेरी चिंता हरने वाले बाबा श्याम है, तेरे संकट हरने वाले बाबा श्याम है, तू देख बुलाकर करते हरएक काम है, बाबा श्याम है, बाबा श्याम है, तेरे संकट हरने वाले बाबा श्याम है।। जब घोर अँधेरा छाए, मेरा सांवरिया झट आए, तेरे उजियारे जीवन से, अँधियारा दूर भगाए, करे अनहोनी को होनी, मेरा श्याम
मेरे श्याम से ही पहचान मेरी, मेरे श्याम से ही है शान मेरी, बात ये बिलकुल सही है…x2 जानता जहान है, हारो का हरदम सहारा, खाटू वाला श्याम है, हारो का हरदम सहारा, खाटू वाला श्याम है।। श्याम का साया जिसने पाया, उसका बेड़ा पार है, श्याम मेहर से पलभर में ही, हो जाता उद्धार
जिस दिल में आपकी याद रहे प्रभु दिल मेरा वो दिल करदो राही न सही मंजिल की तरफ राही की तरफ मंजिल करदो मन में भी अनेक विकारों ने डटकर के डेरा डाल लिया इस छल मन में यदि प्रेम है तो जन मन का मन निर्मल करदो जिस दिल में… पाकर मैं आपकी भक्ति
टेक:- सुन शबरी बात हमारी जप तप ब्रत योग बिधाना बहुदेव पुराण बखानारी सबसे मम भक्ति सुखारी, सुन शबरी…। कोई छाप तिलक तन धारे कोई जटा विभूति रमावे री मुझे प्रेम भक्ति एक प्यारी, सुन शबरी…। नही कुल जाति मैं जानूँ निज भक्त ऊंच कर मानू री यह सत्य बचन निर्धारी, सुन शबरी…। तुझ प्रेम