लेके पूजा की थाली, ज्योत मन की जगा ली, तेरी आरती उतारू भोली माँ। तू जो देदे सहारा, सुख जीवन का सारा, तेरे चरणों पे वारु भोली माँ। ओ माँ… ओ माँ.. धुल तेरे चरणों की लेकर, माथे तिलक लगाया, यही कामना लेकर मैया, द्वारे तेरे मैं आया। रहु मैं तेरा होके, तेरी सेवा में
माता रानी करेगी बेडा, कर ले भगतो का कल्याण, अपने बच्चों का कल्याण, माता रानी करेगी बेडा… एक तरफ भगवान खड़े हो एक तरफ माँ प्यारी, पहले माँ माता को पूजूँ फिर भगवान् की बारी, सब जपे हे तेरा नाम करे भगतो का कल्याण, माता रानी करेगी बेडा… ब्रह्मा विष्णु शिव शंकर जी माँ को
कोठे ऊपर कोठरी मैया का भवन सजा दूंगी, जो मेरी मैया टिका माँगे बिंदी और लगा दूंगी, जो मेरी मैया पैहर के निकलै जयकारा लगा दूंगी, कोठे ऊपर कोठरी मैया का भवन सजा दूंगी॥ जो मेरी मैया कुंडल माँगे नथनी भी पैहरा दूंगी, जो मेरी मैया पैहर के निकलै जयकारा लगा दूंगी, कोठे ऊपर कोठरी
मातारानी का दरबार सजाया है, दूर दूर से भक्तों को बुलाया है, दुख को हरे झोली भरे, दयालू है मेरी माँ, माता रानी का दरबार सजाया है, दूर दूर से भक्तों को बुलाया है। आई दुनिया त्याग के, मैया की शरण में, सच्चा सुख और चैन है, मैया के चरण में, सेवा करूँ दिन रात
भक्त राज हनुमान का, सुमिरण है सुख कार, जीवन नौका को करे, भव सिन्धु से पार। संकट मोचन नाथ को, सौंप दे अपनी डोर, छटेगी दुखों को पल में, छायी घटा घनघोर। जब कष्टों के दैत्य को, लगेगा बजरंग बाण, होगी तेरी हर मुश्किल, धडियों में आसान। महा दयालु हनुमत का, जप ले मनवा नाम,
क्यों बन रहा तू जिव भिखारी, तू शुद्ध चेतन ब्रह्मा अपार। मल माया और कर्म अज्ञाना, ग्रंथि चार माहि जिव बंधाना। खुले तो पावे पद निर्वाणा, हो ब्रह्मरूप ततसार। सतगुरु मिले उपकारी, क्यों बन रहा तू जिव भिखारी॥ जिव ब्रह्मा में अंतर ऐसा, घटाकाश महाकाश जैसा। घट फूटे वैसा का वैसा, श्रुति संत कियो निर्धर।
दाती दे द्वारे दुख बोलां ना ता की करा, (दाती दे द्वारे दुख बोलां ना ता की करा) कर्म कडें पाप पुन्य तोलां ना ता की करां, दाती दे द्वारे दुख बोलां ना ता की करा। ऐसे दा भरोसा मैनु ऐसे दा सहारा ऐ, ऐदे वाजो मेरा इक पल ना गुजारा ऐ, ऐदे अगे भेद
तेरा करके दीदार आज जाना, के भूहे दाती बंद ना करी। तेरा करके दीदार आज जाना, के भूहे दाती बंद ना करी। तेरे नाम विच रंग लिया बाना, के भूहे दाती बंद ना करी। नाम विच तेरे संग मन रंग लिया ए, दूध पुत तेथो सब कुज मंग लिया ए, ओ बेड़ा भगता दा पार
कैसे जिऊ मैं राधा रानी तेरे बिना, मेरा मन ही ना लागे तुम्हारे बिना। मेरे पापों का कोई ठिकाना नहीं, तेरी प्रीत क्या होती जाना नहीं, शरण देदो मेरे अवगुण निहारे बिना। कैसे जिऊ मैं राधा रानी तेरे बिना… मोहे प्रीत की रीत सिखा दो प्रिया, अपनी यादो में रोना सिखा दो प्रिया, जीवन नीरस