छोड़ के सारी दुनिया, आया मैं तेरे दर पर, सतगुरु मेहर कर, सतगुरु मेहर कर… मुझमे भी बहुत अवगुन हैं, मैं गुनहगार हूँ, उजड़ा पड़ा जो बरसों से, मैं वो दयार हूँ, हर पल लगता है डर… सतगुरु मेहर कर.. तूफानों में है मेरी कश्ती, मुझसे दूर किनारा, मैं और पुकारूँ किसको, बिन तेरे कौन
मुझे शिव को मनाना है जरा देर लगेगी, फिर जल भी चढ़ाना है जरा देर लगेगी(२) कांवड़ को सजा के हरिद्वार से लाऊंगा, गंगा में नहाना है, जरा देर लगेगी, फिर जल भी चढ़ाना है जरा देर लगेगी। मुझे शिव को मनाना है जरा देर लगेगी(२) नंगे पावो चलकर पूरा करके आयूंगा, मुझे वादा निभाना
जीवन बहता पानी रे, प्राणी काहे करे तूँ गुमान रे। करे तू गुमान रे, अरे इंसान रे॥ दो दिन की जिंदगानी रे, प्राणी काहे, करे तूँ गुमान रे। जीवन बहता पानी रे, प्राणी काहे, करे तूँ गुमान रे॥ धन और दौलत, बड़ा ही कमाया, इस माया ने, हरि को भुलाया, माया तो, आनी है जानी
सामने आओगे या आज भी परदा होगा-२ रोज ऐसा ही अगर होगा तो कैसा होगा-२ सामने आओगे या आज भी परदा होगा। मौत आती है तो आ जाये कोई गम ही नहीं-२ वो भी तो आएगा, जो मेरा मसीहा होगा, सामने आओंगे या आज भी परदा होगा। मैंने मोहन को बुलाया है वो आता होगा-२
संतो सुरगा सु आयो संदेश, बुलावो आग्यो राम को, ओ बुलावो आग्यो राम को। एक मिनट प्रभु माने दीज्यो, तो करा बेटा से बात, अलमारी में पैसा पड़िया, आपस में लीज्यो थे तो बाट। बुलावो आग्यो राम को, ओ संतो सुरगा सु आयो संदेश, बुलावो आग्यो राम को। दुसरो मिनट प्रभु माने दीज्यो, म्हे करा
ओ मेरी लक्ष्मी माता जग में माया तेरी अपरम्पार, शाम सवेरे आप की पूजा करता है सारा संसार, ओ मेरी लक्ष्मी माता जग में माया तेरी अपरम्पार… के माँ प्रगत हुई सागर से प्यारी तुम विष्णु भगवान की, इस दुनिया में सब को लालच आप के ही वरदान की, इक इशारा कर दे आप को
मोहे ब्रज की धुल बना दे, लाड़ली श्री राधे, स्वामिनी श्री राधे, मोहे ब्रज की धूल बना दे, लाड़ली श्री राधे।। मैं साधन हिन किशोरी जी, दीनन में दीन किशोरी जी-२ मेरे सोये भाग्य जगा दे, लाड़ली श्री राधे, मोहे ब्रज की धूल बना दे, लाड़ली श्री राधे।। अज्ञानी अभागिन हूँ दासी, अखियाँ दर्शन को
यह भजन माता रानी की महिमा और प्रेम का अद्वितीय वर्णन करता है। यह सबल भावनाओं और आराधनाओं के माध्यम से एक भक्त के मन में माँ प्रति भाव जगाता है। शुरुआत में भक्त अपनी इच्छा व्यक्त करता है कि माँ उसे अपने दरबार में बुला लें, और वह माँ के दरशन करें। भक्त द्वारा
मैं क्या था मैं क्या से क्या हो गया, ये तेरी किरपा का असर हो गया, देखती थी नजर जब ये चारो तरफ, कोई अपना ना था प्यार था बे असर, खो गई थी मेरे होठो से जब हसी, तूने ही सँवारे दी मुझे ज़िंदगी, मेरी हर बात पर मुस्कराया यहाँ, कोई मंजिल नहीं थी
तोह क्या जो ये पीड़ा का पर्वत, रस्ता रोक खड़ा है तेरी ममता जिसका बल वो, कब दुनिया से डरा है हिम्मत मैं क्यूँ हारू मैया-२, सर पे हाथ तेरा है। तेरी लगन मैं मगन मैं नाचूँ, गाऊँ तेरा जगराता, मैं बालक तू माता शेरवालिये, है अटूट ये नाता शेरवालिये हो.. मैं बालक तू माता