खाटूवाले ओ श्याम बिहारी, सूरतिया लागे प्यारी… जपूँ मैं थारे नाम रे ओ सागे भक्ता के आऊँ थारे धाम रे बाबा खाटू वाले श्याम का दिल को छू लेने वाला मन को भाव विभोर करने वाला भजन…. भजन: खाटूवाले ओ श्याम बिहारी, सूरतिया लागे प्यारी… गायक: अज्ञात तर्ज:- आओ आओ सांवरिया बेगा आओ टेर:- खाटूवाले
एक, दो, तीन, चार, गणपति तेरी जय जयकार, पाँच, छ, साथ, आठ, गणपति तेरी क्या बात। एक, दो, तीन, चार, गणपति तेरी जय जयकार, पाँच, छ, साथ, आठ, गणपति तेरी क्या बात। विघ्नों का तू ही हरता, दुनिया का है करता धरता, दुःख निवारण तू है बड़ा, भक्तों से प्यार है करता। ओ सुन दुनिया
श्री कृष्ण हिंदू धर्म के ईश्वर एवं भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं। श्याम, गोपाल, केशव, द्वारकाधीश, कन्हैया आदि नामों से लोग इनको जानते हैं। इन्होंने द्वापर युग में श्री कृष्ण का अवतार लिया था। श्री कृष्ण का जन्म बहुत ही कठिन एवं भयानक परिस्थितियों में हुआ था। भजन : अधरों पे धर
शिव शंकर के अवतार मेरे बालाजी सरकार, दास तेरा हो जाऊ झूठी दुनिया का हूँ फ़िलहाल, झूठी दुनिया का हूँ फ़िलहाल मैं तेरा हो जाऊ॥ कुछ ऐसा कर कमाल मैं तेरा हो जाऊ, झूठी दुनिया का हूँ फ़िलहाल मै तेरा हो जाऊ॥ दुनिया के झूठे नाते मैं छोड़ के आया हूँ, तू अपना सहारा दे
बाबा खाटू श्याम का संबंध महाभारत काल से माना जाता है। यह पांडुपुत्र भीम के पौत्र थे। ऐसी कथा है कि खाटू श्याम की अपार शक्ति और क्षमता से प्रभावित होकर श्रीकृष्ण ने इन्हें कलियुग में अपने नाम से पूजे जाने का वरदान दिया। बाबा के भजन से ही बिगड़े हुये नसीब बन जाते है,
भगवन श्री कृष्ण के बड़े घुंगराले बालों को गायिका, बादल के जैसा काले बता रही है। और कृष्ण के सूंदर मुख को देख कर कोई भी उनका दीवाना हो सकता है। कृष्ण में सर पर मोर मुकुट की शोभा देखते ही बनती है और जो मुकुट की लटकनिया है वो भक्तों के मन को हरने
जय धरती माँ, जय गौ माता, गूंज रहा है मंत्र महान्। सुखद सुमंगल विश्व कामना, जीव मात्र का हो कल्याण। जय धरती माँ, जय गौ माता। गौ की सेवा स्वयं प्रभु भी, करके कहलाये गोपाल। हल को धारे चले तपस्वी, युग – युग से धरती के लाल। माँ सृष्टि से पावन नाता, आनन्दित करते रसपान।
बम बम भोला, बम बम भोला, कह साधु कह गए कबीरा। क्या तेरा क्या मेरा कबीरा, सारा ये खेल है तकदीरों का, क्या तूने ले जाणा, सब यहीं रह जाणा, गंगा किनारे चल जाणा, मिटटी है मूरत, जींद है निमाणी, गंगा किनारे चल जाणा, मुड़ के फिर नहीं आना। ये जीवन तेरा लकड़ी का पुतला-२
ये भगवा रंग, रंग रंग, जिसे देख जमाना हो गया दंग, जिसे ओढ़ के नाचे रे बजरंग, मुझे चढ़ गया भगवा रंग रंग, मुझे चढ़ गया भगवा रंग रंग॥ ये भगवा रंग है ऋषि मुनि, और संतो का, हिन्द के वीर बलियो का, और महंतो का, मुझें चढ़ गया भगवा रँग रंग, मुझें चढ़ गया
रमता रमता आवो देवी माँ, जागण दीराऊ थारे नाम रो॥ सिंघ सवारी आवो देवी माँ, ज्योत जगावा थारे नाम री, रमता रमता आवो देवी माँ, जागण दीराऊ थारे नाम रो॥ है कर सिंगार आवो देवी माँ, गेना घडाऊ थारे नाम रो, रमता रमता आवो देवी मां, जागण दीराऊ थारे नाम रो॥ ढोल नगारा झालर री