दोहा: पूजा जप ताप मैं नहीं जानू, मै नहीं जानू आरती। राम रतन धन पाकर के मै प्रभु का नाम पुकारती॥ कलिओं मे राम मेरा, किरणों मे राम है। धरती गगन मे मेरे प्रभु का धाम है॥ कहाँ नहीं राम है… प्रभु ही की धूप छाया, प्रभु की ही चांदनी। लहरों की वीना मे है
कभी कभी भगवान् को भी भक्तों से काम पड़े। जाना था गंगा पार प्रभु केवट की नाव चढ़े॥ अवध छोड़ प्रभु वन को धाये, सिया राम लखन गंगा तट आये। केवट मन ही मन हर्षाये, घर बैठे प्रभु दर्शन पाए। हाथ जोड़ कर प्रभु के आगे केवट मगन खड़े॥ प्रभु बोले तुम नाव चलाओ, अरे
कभी राम बन के कभी श्याम बन के, चले आना प्रभु जी चले आना, तुम राम रूप में आना,-2 सीता साथ लेके धनुष हाथ लेके, चले आना प्रभु जी चले आना कभी राम बन … तुम श्याम रूप में आना,-2 राधा साथ लेके मुरली हाथ लेके, चले आना प्रभु जी चले आना कभी राम बन
ओ मईया तैने का ठानी मन में, राम-सिया भेज दइ री वन में -2 हाय री तैने का ठानी मन में, राम-सिया भेज दइ री वन में -2 यधपि भरत तेरो ही जायो, तेरी करनी देख लज्जायो, अपनों पद तैने आप गँवायो। भरत की नजरन में, राम-सिया भेज दइ री वन में, हठीली तैने का
ऐ मालिक तेरे बंदे हम, ऐसे हो हमारे करम नेकी पर चले और बदी से टले, ताकी हसते हुये निकले दम ऐ मालिक तेरे बंदे हम बड़ा कमजोर है आदमी, अभी लाखों हैं इस में कमी पर तू जो खड़ा, है दयालू बड़ा, तेरी किरपा से धरती थमी दिया तूने हमें जब जनम, तू ही
जनम सफल होगा रे बन्दे,मन में राम बसा ले मन में राम बसा ले,भोले राम आजा राम भोले राम जय राम राम के मोती को,साँसों की माला बना ले मन में राम बसा ले॥ राम पतितपावन करुनाकर और सदा सुखदाता भोले राम आजा राम भोले राम राम पतितपावन करुनाकर और सदा सुखदाता सरस सुहावन, अति
ऐसे हैं मेरे राम, ऐसे हैं मेरे राम, विनय भरा ह्रदय करे सदा जिन्हें प्रणाम। ह्रदय कमल, नयन कमल, सुमुख कमल, चरण कमल, कमल के तुम तेज पुंज छवि ललित ललाम, ऐसे हैं मेरे राम, ऐसे हैं मेरे राम॥ राम सा पुत्र ना राम सा भ्राता, राम सा पति नहीं राम सा त्राता। राम सा
आएंगे वो तारण हार बनके तुम्हारे हर लेंगे दुःख पीड़ा कष्ट ये सारे आएंगे वो तारण हार बनके तुम्हारे हर लेंगे दुःख पीड़ा कष्ट ये सारे॥ आएंगे वो तारण हार…………… छाया है भय का जो घोर अँधियारा छाया है भय का जो घोर अँधियारा उनकी कृपा से होगा उजियारा मुख मलिंग सारे मुख मलिंग सारे
ऐसें मेरे मन में विराजिये ऐसें मेरे मन में विराजिये की मै भूल जाऊं काम धाम गाऊं बस तेरा नाम भूल जाऊं काम धाम गाऊं बस तेरा नाम सीता राम सीता राम, सीता राम सीता राम सीता राम सीता राम, सीता राम सीता राम ऐसें मेरे मन में विराजिये ऐसें मेरे मन में तू चंदा
आन मिलो मोहे राम, राम मेरे। मन व्याकुल है, तन बेसुध है, अँखिओं में आ गए प्राण॥ तुम तो दुःख में छोड़ गए हो, तोड़ के हमसे नाता, मेरे लिए रघुवीर तुम्ही हो पिता बंधू और माता। तुम ही नहीं तो मेरा जीवन आएगा किस काम॥ आन मिलो मोहे राम, राम मेरे… जिस पथ से