Author: Anil Kumar

श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणम्

श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणम् नवकञ्ज लोचन कञ्ज मुखकर कञ्जपद कञ्जारुणम् १.. कंदर्प अगणित अमित छबि नव नील नीरज सुन्दरम् पटपीत मानहुं तड़ित रुचि सुचि नौमि जनक सुतावरम् २.. भजु दीन बन्धु दिनेश दानव दैत्यवंशनिकन्दनम् रघुनन्द आनंदकंद कोशल चन्द दशरथ नन्दनम् ३.. सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदार अङ्ग विभूषणम् आजानुभुज सर चापधर

राधिका गौरी से बृज की छोरी से

कृष्ण – राधिका गौरी से बृज की छोरी से मैया कराय दे मेरो ब्याह यशोदा – उम्र तेरी छोटी है नजर तेरी खोटी है कैसे करा दूँ तेरा ब्याह – राधिका गौरी से कृष्ण – जो नहीं ब्याह करावे, तेरी गैया न चारो आज के बाद मोरी मैया, तेरी देहली पर ना आऊँ आयेगा रे

जब से देखा तुम्हे, जाने क्या हो गया, ए खाटू वालेVerified Lyrics 

जब से देखा तुम्हे, जाने क्या हो गया, ए खाटू वाले श्याम मैं तेरा हो गया । तू दाता है तेरा, पुजारी हूँ मैं, तेरे दर का ए बाबा, भिखारी हूँ मैं । तेरी चौखट पे दिल है, मेरा खो गया, ए मुरली वाले श्याम मैं तेरा हो गया ॥ जब से मुझको ए श्याम,

तेरी यमुना दा मीठा मीठा पानी

तेरी यमुना दा मीठा मीठा पानी मटकियाँ भर लेन दे – तेरी यमुना मैं तो जब यमुना तट पर आई आगे मिल गए कृष्ण कन्हाई मेरी, एक बात ना मानी – मटकियाँ भर लेन दे… अर्ज करी दोनों कर जोरि फिर भी उसने बांह मरोरि फिर खूब हुई खैंचताणि – मटकियाँ भर… करके बहाना पानी

दरबार तेरा निराला तू है अंजनी का लाला।

दरबार तेरा निराला तुम्हें अंजनी का लाला। अंजनी का लाला तू है अंजनी का लाला।। तूँ है निराला तेरी महिमा निराली। दर पर जो आए कोई बन के सवाली।। उसके संकट को तूने टाला।।1।। मंदिर निराले तेरे सेवक निराले। मन में करे है तू ही सबके उजाले।। हमने तो तेरे दर पर डेरा डाला ।।2।।

फरियाद दुखी दिल की तुमको ही सुनाऊंगा।

फरियाद दुखी दिल की तुमको ही सुनाऊंगा। बजरंग तेरे दर बिन किस दर पर जाऊंगा। मिलकर तेरी दुनिया ने मुझको बड़ा लुटा है। सुंदरता के पोछे सब नाटक झूठा है। भटका हूँ मैं राहों से कब मंजिल पाऊंगा।।1।। अँखिया तेरे बिरहा में दिन रात बरसती है। तेरे दर्शन पाने को सदियों से तरसती है। रहमत

गर हो तेरी दया का इशारा, डूबता हो कोई मिलता

गर हो तेरी दया का इशारा। डूबता हो कोई मिलता पल भर में उसको किनारा। ग्राह गज में हुई थी लड़ाई। गज ने आवाज तुमको लगाई। गर न होती दया मारा जाता वो गजराज बेचारा। शिवरी देखे थी बाट तिहारी। राह में निशदिन लगाती बुहारी। जो ही दर्शन किये कर गई पल भर में जग

ए मेहंदीपुर के बालाजी, कभी मेरे घर भी आ जाना।

ए मेहंदीपुर के बालाजी, कभी मेरे घर भी आ जाना। मैं दास आपका जन्मों से, आकर धीर बंधा जाना।। तेरे रोज सवामण भोग लगे, नित खीर चूरमा खाये तूँ। मेरे पास तो रूखी सूखी है, निर्धन के घर नहीं आये तूँ। अब और सहा नहीं जाता है, दर्शन दे धन्य बना जाना।।1।। सोना चांदी के

आवण में के मजो है, जावण में के मजो है।

आवण में के मजो है, जावण में के मजो है। थारे मेहंदीपुर का दर्शन, पावण में के मजो है। हर साल जन्म दिन पर बाबा म्हें दौड़या आवां। सवा मन को चूरमो म्हें दरबार में चढ़ावां। खाके जरा तो देखल्यो खांवण में के मजो है।।1।। जय जय बाबा, जय जय बाबा, जय जय बाबा बोलो।

सूर्य चालीसा – कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग

॥दोहा॥ कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग, पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के सङ्ग॥ ॥चौपाई॥ जय सविता जय जयति दिवाकर!, सहस्त्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥n भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!, सविता हंस! सुनूर विभाकर॥1॥ विवस्वान! आदित्य! विकर्तन, मार्तण्ड हरिरूप विरोचन॥ अम्बरमणि! खग! रवि कहलाते, वेद हिरण्यगर्भ कह गाते॥2॥ सहस्त्रांशु प्रद्योतन, कहिकहि, मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि॥ अरुण सदृश