Author: Anil Kumar

जहाँ आसमां झुके जमीं पर सर झुकता संसार का।

जहाँ आसमां झुके जमीं पर, सर झुकता संसार का, वही पे देखा हमने जलवा, माँ तेरे दरबार का।। ◾️इक तिरकुट पर्वत प्यारा, जहाँ पे भवन विशाल, गुफा बनी एक सुन्दर सी, बजे घंटे घड़ियाल, स्वर्ग सा सुख वहां, नहीं कोई दुःख वहां, बराबर मिलता है सबको, भिखारी हो या कोई राजा, जहाँ आसमां झुके जमी

तेरी जय जगदम्बे तेरी जय जय अम्बे।

तेरी जय जगदम्बे, तेरी जय जय अम्बे, तेरा पचरंग चोला मन भाये, चुंदरिया की झालर, करे झिलमिल झिलमिल, तुझे देखके देवता हर्षाए, तेरी जय जगदम्बे, तेरी जय जय अम्बे।। ◾️ब्रम्हा विष्णु मनाए, तुझे मैया, रिझावे तुझे शिव शंकर, ब्रम्हा विष्णु मनाए, तुझे मैया, रिझावे तुझे शिव शंकर, भैरव चवर ढ़ुलावे तुझको, धूम है तेरी घर

मैं तो देख आई सारे दरबार मैया का भवन प्यारा लगे।

मैं तो देख आई सारे दरबार, मैया का भवन प्यारा लगे, मुझे भाये नहीं कोई द्वार, मैया का भवन प्यारा लगे, मै तो देख आई सारे दरबार, मैया का भवन प्यारा लगे।। ◾️जग जननी रण चंडी, अम्बे माँ काली, वो मेहरा वाली है, वो शेरा वाली, हो ओ ,, सुने भक्तो के, सुने भक्तो के

तूने मारे चण्ड मुण्ड शुम्भ निशुम्भ तेरी जय जय मात भवानी।

तूने मारे चण्ड मुण्ड, शुम्भ निशुम्भ, तेरी जय जय मात भवानी, तेरी जय जय जय कल्याणी।। तूने मारे चण्ड मुण्ड, शुम्भ निशुम्भ, तेरी जय जय मात भवानी, तेरी जय जय जय कल्याणी, तेरी जय जय मैया रानी, हे जगजननी जगदम्बे ज्वाला, दुर्गा वैष्णो रानी, तेरी जय जय जय कल्याणी, तेरी जय जय मात भवानी।। जय

द्वारे चलिए मैया के द्वारे चलिए।

द्वारे चलिए मैया के, द्वारे चलिए, ले आया सावन का महीना, लेने नज़ारे चलिए, द्वारे चलिए मैया के, द्वारे चलिए।। ◾️रिमझिम रिमझिम सावन बरसे, आई रुत मतवाली, जय माँ जय माँ कोयल बोले, बैठ आम की डाली, ऊँचे पर्वत भवन सुनहरा, छाई है हरियाली, पिंडी रूप विराजे मैया, भक्तो की प्रतिपाली, ले आया सावन का

अमृत की बरसे बदरिया अम्बे माँ की दुअरिया।

अमृत की बरसे बदरिया, अम्बे माँ की दुअरिया, अमृत की बरसे बदरिया, ओये मेरी माँ की दुअरिया।। ◾️दादुर मोर पपीहा बोले, पपीहा बोले पपीहा बोले, कूके काली कोयलिया, अम्बे माँ की दुअरिया, अमृत की बरसें बदरिया, ओये मेरी माँ की दुअरिया।। ◾️शीश मुकुट कानों में कुण्डल, सोवे लाल चुनरिया, अम्बे माँ की दुअरिया, अमृत की

नवराते आ गए अँगना बुहारो माँ का।

नवराते आ गए, अँगना बुहारो माँ का, भवन सवारों, झोंके पुरवईया के, बतला गए, नवराते आ गए, शेरावाली माई सदा, भक्तो की सहाई गाए, महिमा जो दर्शन पा गए, नवराते हो ओ,,,, नवराते आ गए।। ◾️भाये भक्तो के मन को, अश्विन महीने के ये नो दिन, माता दुर्गा भवानी की, घर घर में हो पूजा

स्वर्ग की सीढियाँ है तेरी सीढियाँ।

स्वर्ग की सीढियाँ है, तेरी सीढियाँ, सबको मिलती कहाँ माँ, तेरी सीढियाँ, सबको मिलती कहाँ माँ, तेरी सीढियाँ, स्वर्ग की सीढियाँ है, तेरी सीढियाँ।। ◾️माँ और बेटे में, करवाए ये ही मिलन, माँ और बेटे में, करवाए ये ही मिलन, बहुत ही मेहरबां है, तेरी सीढियाँ, स्वर्ग की सीढिया है, तेरी सीढियाँ।। ◾️रास्ते से कोई

माँ तेरे लाल बुलाए आजा सुनले भक्तो की सदाए।

माँ तेरे लाल बुलाए आजा, सुनले भक्तो की सदाए आजा, माँ तेरे लाल बुलाए आजा, सुनले भक्तो की सदाए आजा।। ◾️तेरे बिन माँ कोई हमारा नहीं, हमें माँ किसी का सहारा नहीं, माँ तुझ बिन किसी को पुकारा नहीं, है तेरे सवाली मैया तुझसे ही सवाल है, तेरे बिन बच्चो का हुआ माँ बुरा हाल

निशदिन तेरी पावन ज्योत जगाऊँ मैं मुझको ना बिसराना हे जगदम्बे माँ।।

निशदिन तेरी पावन, ज्योत जगाऊँ मैं, मुझको ना बिसराना,, हे जगदम्बे माँ।। श्लोक – तेरे दर्शन की आस है मन में, मेने तुझसे लगन लगाई है, तूने दुनिया को बुलाया दर पे, माँ मेरी याद क्यों ना आई है। ◾️निशदिन तेरी पावन, ज्योत जगाऊँ मैं, मुझको ना बिसराना,, हे जगदम्बे माँ, हर पल तेरे नाम