॥दोहा॥ विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय। कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय॥ ॥चौपाई॥ नमो विष्णु भगवान खरारी,कष्ट नशावन अखिल बिहारी। प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी,त्रिभुवन फैल रही उजियारी॥1॥ सुन्दर रूप मनोहर सूरत,सरल स्वभाव मोहनी मूरत। तन पर पीताम्बर अति सोहत,बैजन्ती माला मन मोहत॥2॥ शंख चक्र कर गदा बिराजे,देखत दैत्य असुर दल भाजे। सत्य