विश्वप्रिया कमलेश्वरी, लक्ष्मी दया निधान, तिमिर हरो अज्ञान का, ज्ञान का दो वरदान। आठो सिद्धिया द्वार तेरे, खड़ी है माँ कर जोड़, निज भक्तन की नाँव को, तट की ओर तू मोड़। निर्धन हम लाचार बड़े, तू है धन का कोष, सुख की वर्षा करके माँ, हर लो दुःख का दोष। जय लक्ष्मी माता, जय