टेर : क्या लेकर तूं आया जगत में , क्या लेकर तूं जायेगा। सोच समझ ले – रे ,मन मूरख आखिर में पछतावेगा।। भाई बन्धु और मित्र प्यारे , मर्घट तक संग जायेंगे , सवार्थ के दो आंसू देकर लॉट -लॉट घर आवेंगे , कोई न तेरे साथ चलेगा ,एक अकेला जावेगा। क्या लेकर तूं…..
टेर : अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार तुम्हारे हाथों में। है जीत तुम्हारे हाथों में, है हार तुम्हारे हाथों में ।1। है जीत तुम्हारे हाथों में… मेरा निश्चय है बस एक यही, इकबार तुम्हे पा जाऊं मैं। अर्पण करदूँ दुनिया भर का, सब प्यार तुम्हारे हाथों में ।2। है जीत तुम्हारे हाथों
टेर : बजरंग बाला जपूँ थारी माला, रामदूत हनुमान, भरोसो भारी है… लाल लंगोटो वालो तू, अंजनी माँ को लालो तू, राम नाम मतवालो तू, भगतां को रखवालो तू, सालासर तेरा भवन बना है सुन ले पवन कुमार, बजरंग बाला जपूँ… शक्ति लक्ष्मण के लागि, पल माहि मूर्छा आगि, द्रोणगिरि पर्वत ल्यायो, सांचो है तू
दोहा : धन चाहे तो दान कर मुक्ति चाहे तो भज राम हाड़ मास का पुतला बिन भजन किस काम टेर : नर खोव मतना रे काया दुपटो जरी को। नर जपले क्योनी रे सांचो नाम हरी को।। नर खोव मतना रे……।1। काम न करयो तो, मने धोखो कोणी आवे। मन धोखो आवे रे, माया
टेर : क्या लेकर तूं आया जगत में, क्या लेकर तूं जावेगा सोच समझ ले रे मन मुर्ख, आखिर में पछतावेगा भाई बन्धु और मित्र प्यारे, मर्घट तक संग जायेगे सवार्थ के दो आंसू देकर, लौट लौट घर आवेगे कोई न तेरे साथ चलेगा, एक अकेला जावेगा क्यों जग में अभिमान करे तूँ और कहे
टेर : आधी रात जीवन की ढल गई होगा अभी सवेर रे। आजा बन्दे प्रभु शरण में काहे लगावे देर रे।। चार दिनों का जीवन तेरा, दुनिया चलती चाकी रे, पीस रहे है सभी इसमें, कोण बचा न बाकि रे, अगर कहीं बचना चाहे तो, राम माला फेर रे।1। आधी रात जीवन…. आत्मा शनि का
टेर : भज राम नाम सुखदाई भजन करो भाई ये मेला दो दिन का। ये तन है जंगल की लकड़ी आग लगे जल जावे, भजन करो भाई, ये मेला दो दिन का। भज राम नाम….. ये तन है कागज की पुड़िया हवा लगे उड़ जावे भजन करो भाई, ये मेला दो दिन का। भज राम
टेर : बजरंग बलि मेरी नाव चली जरा बलि कृपा की लगा देना। मुझे रोग दोष ने घेर लिया मेरे पापों को नाथ मिटा देना, मैं दास तो आपका जन्म से हूँ बालक और शिष्य भी धर्म से हूँ। बजरंग बलि….. दुर्बल हूँ गरीब हूँ दीन हूँ मैं निज कर्म क्रिया मति छिण हूँ मैं,
टेर : हो रही जय जयकार बालाजी तेरे मंदिर में, उड़ रही लाल गुलाल बालाजी तेरे मंदिर में। भगत खड़े तोहे भजन सुनावे नाच नाच रमझोल मचावे , खुशियों के लगे अम्बार बालाजी तेरे मंदिर में। कोई मेवा पकवान चढ़ावे बार बार धन माल लुटावे, प्रशादी की बहार बालाजी तेरे मंदिर में। ध्वजा नारियल सवा