मेरे प्रभु जानते है बात घट घट की बजाये जा तू प्यारे हनुमान चुटकी, तेरे माथे पर है बेटा तलवार लटकी बजाये जा तू प्यारे हनुमान चुटकी, यहाँ प्रभु है वह चाल किसकी चली, तेरे राम जी के आगे दाल किसकी गली, तूने जानी नहीं लीला नटखट की, बजाये जा तू प्यारे हनुमान चुटकी.. जो
मुझे अपनी शरण में लेलो राम -२ लोचन मन में जगह न हो तो युगल चरण में लेलो राम, मुझे… जीवन देके जाल बिछाया रच के माया नाच नचाया चिंता मेरी तभी मिटेगी -२ जग चिंतन लेलो राम, मुझे… तुमने लाखों पापी तारे मेरी बरी बजी हारे मेरे पास न पुण्य की पूंजी -२ पद
जैसे सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को, मिल जाये तरुवर की छाया ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है।। मैं जबसे सरन तेरी आया, मेरे राम भटका हुआ मेरा मन था, कोई मिल न रहा था सहारा -२ लहरों से लगी हुई नाव को -२ जैसे मिल न रहा हो किनारा-२ इस
आज अयोध्या में उत्सव निराला जप लो सिया राम नाम की माला नारद जी गाये जय जय श्री राम बजरंगी नाचे होके मतवाला आज अयोध्या में उस्तव निराला दीप जले अति सूंदर मन में राम पता का ठहरे घर घर में उमंगे सब के हिरदये में थिरकती मयूर जैसे नाचे वन वन में खुसियो ने
हे जी रे… हे जी रे… हे जी रे… हे रामचंद्र कह गए सिया से, रामचंद्र कह गए सिया से… ऐसा कलयुग आएगा, हंस चुगेगा दाना दुनका, कौआ मोती खाएगा। हे जी रे… सिया ने पूछा भगवन: कलयुग में धर्म-कर्म को कोई नहीं मानेगा? तो प्रभु बोले: धर्म भी होगा कर्म भी होगा, (धर्म भी
श्री राम से कह देना एक बात अकेले में रोता है भरत भैया दिन रात अकेले में श्रीं राम से कह देना एक बात अकेले में आ लौट आ मेरे प्यारे भैया आ लोट के आ मेरे प्यारे भैया वनवासी गए वन में फिर भी तो यही मन में रटता हूँ राम रटना दिन रात
मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में .. जो सुख पाऊँ राम भजन में सो सुख नाहिं अमीरी में मन लाग्यो .. भला बुरा सब का सुन लीजै कर गुजरान गरीबी में मन लाग्यो .. आखिर यह तन छार मिलेगा कहाँ फिरत मग़रूरी में मन लाग्यो .. प्रेम नगर में रहनी हमारी साहिब मिले सबूरी में
तेरा राम जी करेंगे बेडा पार, उदासी मन काहे को करे नैय्या तेरी राम हवाले, लहर लहर हरी आप संभाले। तेरा राम जी करेंगे बेडा पार, उदासी मन काहे को करे रे काहे को डरे रे, काहे को डरे राम नाम सोही जानिए, जो रमता सकल जहा। घट घट में जो रम रहा, उसको राम
नगरी हो अयोध्या सी,रघुकुल सा घराना हो, चरन हो राघव के, जहा मेरा ठिकाना हो। लक्ष्मण सा भाई हो, कौशल्या माई हो, स्वामी तुम जैसा मेरा रघुराई हो, नगरी हो अयोध्या सी, रघुकुल सा घराना हो। हो त्याग भरत जैसा, सीता सी नारी हो, लव-कुश के जैसी सन्तान हमारी हो, नगरी हो अयोध्या सी, रघुकुल
जग में सुन्दर है दो नाम, चाहे कृष्ण कहो या राम बोलो राम राम राम, बोलो श्याम श्याम श्याम जग में सुन्दर है दो नाम, चाहे कृष्ण कहो या राम बोलो राम राम राम, बोलो श्याम श्याम श्याम माखन ब्रज में एक चुरावे, एक बेर भीलनी के खावे प्रेम भाव से भरे अनोखे, दोनों के