ॐ जय परशुधारी,स्वामी जय परशुधारी। सुर नर मुनिजन सेवत,श्रीपति अवतारी॥ ॐ जय परशुधारी…॥ जमदग्नी सुत नर-सिंह,मां रेणुका जाया। मार्तण्ड भृगु वंशज,त्रिभुवन यश छाया॥ ॐ जय परशुधारी…॥ कांधे सूत्र जनेऊ,गल रुद्राक्ष माला। चरण खड़ाऊँ शोभे,तिलक त्रिपुण्ड भाला॥ ॐ जय परशुधारी…॥ ताम्र श्याम घन केशा,शीश जटा बांधी। सुजन हेतु ऋतु मधुमय,दुष्ट दलन आंधी॥ ॐ जय परशुधारी…॥ मुख