सुनो जी भैरव लाड़िले, कर जोड़ कर विनती करूँ। कृपा तुम्हारी चाहिए, मैं ध्यान तुम्हारा ही धरूँ। मैं चरण छुता आपके, अर्जी मेरी सुन लीजिये॥ सुनो जी भैरव लाड़िले॥ मैं हूँ मति का मन्द, मेरी कुछ मदद तो कीजिये। महिमा तुम्हारी बहुत, कुछ थोड़ी सी मैं वर्णन करूँ॥ सुनो जी भैरव लाड़िले॥ करते सवारी स्वान