जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा। सत्यनारायण स्वामी, जन पातक हरणा॥ ॥ॐ जय…॥ रतन जड़ित सिंहासन, अदभुत छवि राजे। नारद करत नीराजन, घंटा वन बाजे॥ ॥ ॐ जय…॥ प्रकट भए कलिकारण, द्विज को दरस दियो। बूढ़ो ब्राह्मण बनकर, कंचन महल कियो॥॥ ॐ जय…॥ दुर्बल भील कठोरो, जिन पर कृपा करी। चंद्रचूड़ एक राजा, तिनकी