तू दयाल, दीन हौं, तू दानी, हौं भिखारी। हौं प्रसिद्ध पातकी, तू पाप पुंज हारी॥ नाथ तू अनाथ को, अनाथ कौन मोसो। मो सामान आरत नाही, आरती हर तोसो॥ ब्रह्मा तू, जीव हौं, तू ठाकुर, हौं चेरो। तात मात गुरु सखा, तू सब विधि ही मेरो॥ तोही मोहि नाते अनेक, मानिए जो भावे। ज्यो त्यों
तुम आशा विश्वास हमारे। तुम धरती आकाश हमारे॥ तात मात तुम, बंधू भ्रात हो, दिवस रात्रि संध्या प्रभात हो। दीपक सूर्य चद्र तारक में, रामा, तुम ही ज्योति प्रकाश हमारे॥ साँसों में तुम आते जाते, एक तुम्ही से हैं सब नाते। जीवन वन के हर पतझर के, एक तिम्ही मधुमास हमारे॥ तुम्ही ही सब में,
तुम दर्शन हम नैना रामा तुम दर्शन हम नैना रामा तुम दर्शन हम नैना रामा तुम दर्शन हम नैना रामा॥ कौशल्या की कोख से तुमने जनम लिया है ऐसे सुख समृद्धि की गंगा को मुख से जन्मे जैसे गंगा जन्मे जैसे सरजू के तट झूम के गायें पल पल आज बधाई जग जग अँखियाँ तरसी
ठुमक ठुमक ठुमक ठुमक चले राम लल्ला पग पैजनिया बाजे रे पग पैजनिया बाजे रे ठुमक ठुमक ठुमक ठुमक चले राम लल्ला पग पैजनिया बाजे रे पग पैजनिया बाजे रे॥ सुंदर बाल रूप अति सोहे सहज ही त्रिभुवन को मन मोहे सुंदर बाल रूप अति सोहे सहज ही त्रिभुवन को मन मोहे सेस सहस मुख
राम राम भज राम राम भज राम राम भज राम राम भज॥2॥ झूठी काया झूठी माया झूठा ये जग सारा है राम भजन कर प्राणी काहे फिरता मारा मारा है राम राम भज राम राम भज राम राम भज राम राम भज॥2॥ राम नाम ही संगी होगा जब परलोक सिधारेगा अंतिम सांस पे भी गर
जिसकी लागी रे लगन भगवान में, उसका दिया रे जलेगा तूफान में।। तन का दीपक मन की बाती, हरी भजन का तेल रे, काहे को तू घबराता है, ये तो प्रभु का खेल रे, जिसकी लागी रे लगन भगवान मे, उसका दिया रे जलेगा तूफान में।। काहे को तू भूल के बैठा, भज ले श्री
ठुमक चलत रामचंद्र, बाजत पैंजनियां। किलकि किलकि उठत धाय, गिरत भूमि लटपटाय। धाय मात गोद लेत, दशरथ की रनियां। अंचल रज अंग झारि, विविध भांति सो दुलारि। तन मन धन वारि वारि, कहत मृदु बचनियां। विद्रुम से अरुण अधर, बोलत मुख मधुर मधुर। सुभग नासिका में चारु, लटकत लटकनियां। तुलसीदास अति आनंद, देख के मुखारविंद।
जिस भजन में राम का नाम ना हो, उस भजन को गाना ना चाहिए। जिस भजन में राम का नाम ना हो, उस भजन को गाना ना चाहिए। चाहे बेटा कितना प्यारा हो, उसे सर पे चढ़ाना ना चाहिए। चाहे बेटी कितनी लाडली हो, घर घर में घुमाना ना चाहिए॥ जिस भजन में राम का
ज़िन्दगी बेकार है,ये दुनिया असार है, जिसने लिया राम नाम, उसी का बेडा पार है..2.. इस दुनिया में खोज के देखा, माया के सब बन्दे हो,..2.. स्वार्थ के सब बन्दे देखे, तबियत के सब गंदे हो, अपनी सगी ना नार है, ना पुत्र रिश्तेदार है, जिसने लिया राम नाम, उसी का बेडा पार है।..2.. जिंदगी
जाके प्रिय ना राम-बैदेही, सो छाड़िये कोटि बैरी सम, जद्यपि परम स्नेही। तज्यो पिता प्रह्लाद, विभिसन बंधू, भारत महतारी। बलि गुरु तज्यो, कान्त ब्रज्बनितनी, भये मुद-मंगलकारी॥ नाते नेह राम के मनियत, सुह्रद सुसेव्य जहाँ लॉन। अंजन कहा अंखि फूटी, बहु तक कहूं कहाँ लौं॥ तुलसी सो सब भांति परम हित, पूज्य प्राण ते प्यारो। जासों