ये गर्व भरा मस्तक मेरा प्रभु चरण धूल तक झुकने दे, अहंकार विकार भरे मन को, निज नज़्म की माला जपने दे, ये गर्व भरा मस्तक मेरा.. ◾️ मैं मन के मैल को धो ना सका,ये जीवन तेरा हो ना सका, हाँ..हो ना सका,मैं प्रेमी हूँ, इतना ना झुका, गिर भी जो पड़ूँ तो उठने
मैंने छोड़ा जगत जंजाल, राम गुण गाने लगा, राम नाम की धुन में बहकर, जीवन सफल बनाने लगा, मैने छोड़ा जगत जंजाल, राम गुण गाने लगा।। ◾️ ये माया है बहता पानी, ना रहे राजा ना रही रानी, हम तुम सब की यही कहानी, यह दुनिया है आनी जानी, नाम राम का सबसे सच्चा, नाम
रामा रामा रटते रटते बीती रे उमरिया राम रमैया कब आओगे भक्तन की नगरीय ◾️ मैं तो राह बुहारू मेरे राम आएंगे बैठी बाट निहारु मेरे राम आएंगे मैं तो राह बुहारू मेरे राम आएंगे बैठी बाट निहारु मेरे राम आएंगे ◾️ राम लखन मेरी कुटिया में आएंगे झूठे बेरो का प्रभु भोग लगाएंगे मैं
मेरे राम श्रीराम कुटिया में कब पधारेंगे। बूढी भिलनी को प्रभु कब उधारेंगे। मेरे.. ◾️ नाना पुष्पों से रस्ता सजाऊँगी में, राम ही राम बस गुनगुनाउंगी में। उनका श्रृंगार कर हम सवाँरेंगे, मेरे राम श्रीराम कुटिया में कब पधारेंगे। ◾️ पैर धोकर के मैं चरणामृत पाऊँगी, दोनों कर जोड़कर उनको सर नाउंगी। काला तिल देके
मेरी रसना से प्रभु तेरा नाम निकले, हर घड़ी हर पल राम राम निकले।। ◾️ मन मंदिर में ज्योत जगाउंगी, प्रभु सदा मैं तेरे गुण गाउंगी, मेरे रोम रोम से तेरा नाम निकले, मेरे रोम रोम से तेरा नाम निकले, हर घड़ी हर पल राम राम निकले, मेरी रसना से प्रभु तेरा नाम निकलें, हर
मुझे अपनी शरण में ले लो राम ले लो राम द्वार तिहारे आन पड़ा हूँ मेरी खबरीआ ले लो राम ले लो राम मुझे अपनी शरण में ले लो राम ले लो राम… ◾️ इस जग ने मुझको ठुकराया मीत कोई न तुमसा पाया दुःख संताप मिटाकर मेरे नज़र दया की फेरो राम मेरे राम
भरत भाई, कपि से उरिन हम नाहीं कपि से उरिन हम नाहीं भरत भाई, कपि से उरिन हम नाहीं ◾️ सौ योजन, मर्याद समुद्र की ये कूदी गयो छन माहीं लंका जारी,सिया सुधि लायो पर गर्व नहीं मन माहीं कपि से उरिन हम नाहीं भरत भाई, कपि से उरिन हम नाहीं ◾️ शक्तिबाण, लग्यो लछमन
प्रेम मुदित मन से कहो राम राम राम, राम राम राम, श्री राम राम राम। पाप कटें दुःख मिटें लेत राम नाम। भव समुद्र सुखद नाव एक राम नाम॥ ◾️ परम शांति सुख निधान नित्य राम नाम। निराधार को आधार एक राम नाम॥ ◾️ संत हृदय सदा बसत एक राम नाम। परम गोप्य परम इष्ट