December 25, 2017
सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को
सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया, ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है, मैं जब से शरण तेरी आया। मेरे राम॥ भटका हुआ मेरा मन था, कोई मिल ना रहा था सहारा। लहरों से लगी हुई नाव को जैसे मिल ना रहा हो किनारा। इस लडखडाती हुई