गणपति राखो मेरी लाज, – श्लोक – जय गणेश, गणनाथ दयानिधि, सकल विघन, कर दूर हमारे, मम वंदन स्वीकार करो प्रभु जी, चरण शरण हम , आये तुम्हारी, जय गणेश, गणनाथ दयानिधि। गणपति राखो मेरी लाज, पूरण कीजो मेरे काज।। सदा रहे खुशहाल गणपति लाल, जो प्रथमे तुम्हे धियावे, रिध्धि सिद्धि के दाता ओ भाग्यविधाता,