श्याम रंग में रंगी चुनरिया, अब रंग दूजो भावे ना, -(2) इन नैनन में श्यामा समायो, और दुसरो आवे ना॥ श्याम रंग में रंगी चुनरिया, अब रंग दूजो भावे ना, बंसी वारे मोहन प्यारे, छोड़ गए क्यों यमुना किनारे। भक्त तुम्हारे बाट निहारे, नैनन झरते असुवन धारे॥ लाग रही मन में दर्शन की, और लगन