September 22, 2018
थाली भरकर ल्याई रै खीचड़ौ
थाली भरकर ल्याई रै खीचड़ौ, उपर घी की बाटकी, जीमो म्हारो श्याम धणी, जिमावै बेटी जाट की॥ बाबो म्हारो गांव गयो है, ना जाने कद आवैलो, ऊके भरोसे बैठयो रहयो तो, भूखो ही रह जावैलो। आज जिमाऊं तैने रे खीचड़ो, काल राबड़ी छाछ की॥ थाली भरकर ल्याई रै… बार-बार मंदिर न जुड़ती, बार-बार में खोलती,